आत्महत्या, मौत या शव को ठिकाने लगाने का स्थल बना चमेली झरना, गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस Pramod Upadhyay Hazaribagh : चमेली झरना से शुक्रवार को एक और नाबालिग लड़की का शव बरामद किया गया. इस लड़की की भी पहचान नहीं हो पायी है. इचाक पुलिस करीब 12 वर्षीय इस लड़की की मौत की गुत्थी सुलझाने में जुटी है. गुरुवार को भी इसी झरने की धार में दो अलग-अलग थाना क्षेत्रों से नाबालिग लड़के और लड़की का शव पदमा और इचाक पुलिस ने बरामद किया था. उन दोनों की भी पहचान अब तक नहीं हो पायी है. इससे पहले पिछले माह चमेली झरने के आसपास सिरकटा धड़ बरामद किया गया था. एक सप्ताह के बाद उसका सिर पदमा थाना अंतर्गत मिला था. काफी छानबीन के बाद पता चला कि उस व्यक्ति की हत्या बिहार के औरंगाबाद में कर सुराग छिपाने के लिए यहां लाकर सिर और धड़ अलग-अलग कर फेंक दिया गया था. वहीं दो माह पहले वहां इचाक स्थित भुसाई के एक युवक प्रिंस कुमार की मौत का मामला सामने आया था. उसके परिजनों का कहना था कि युवक की हत्या की गई है. इसे भी पढ़ें :
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वहीं पिछले 48 घंटे के दौरान तीन अनजान नाबालिग लड़के-लड़की का शव मिलने से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. क्या चमेली झरना आत्महत्या, मौत या शव को ठिकाने लगाने का स्थल बन गया है. सवाल यह उठाया जा रहा है कि आखिर चमेली झरने के पास नाबालिग बच्चे क्या करने जा रहे हैं. क्या वह नहाने के दौरान डूबे या सेल्फी लेने के दौरान फिसल गए. दो दिनों में तीन शवों के बरामद होने से मामला और उलझ गया. आसपास के गांवों में भी उन बच्चों की पहचान नहीं हो पायी है. फिर सिरकटी लाश के खुलासे से कई सवाल सुलग गए. इन सभी बिन्दुओं पर पुलिस मामले को खंगालने में जुटी है.
मौत के दहशत में बदल रही रमणीक स्थल की खूबसूरती
हजारीबाग शहर से 12 किलोमीटर और बरही जीटी रोड से 28 किमी दूर नेशनल हाइवे-33 स्थित हजारीबाग वन्यजीव अभ्यारण्य में कल-कल करती चमेली झरना रमणीक स्थल की खूबसूरती कुछेक घटनाओं से मौत के दहशत में बदल रही है. लोग यहां सैर-सपाटे और मनोरम वादियों में कुछ पल गुजारने के लिए आते हैं. लेकिन पिछले माह से यहां बरामद शवों के कारण लोग यहां जाने से कतराने लगे हैं. समाजसेवी गौतम कुमार कहते हैं कि चमेली झरना में कल-कल गिरते जल अब सन्नाटों की चीरती प्रतीत होती है. कुछ ही दिन पहले वहां कोलाहल हुआ करता था. लेकिन अब भय का माहौल लगता है.

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वर्ष 2002 तक चमेली झरना का काफी चौड़ा पाट हुआ करता था. लेकिन साल 2004 के बाद वहां पत्थर माफियाओं का राज हो गया. निजी स्वार्थ की खातिर इस प्राकृतिक स्थल को उजाड़ दिया गया. डायनामाइट के विस्फोट ने आधे से अधिक विशाल चौड़े पाट को खत्म कर दिया. कल-कल बहते झरने की बड़ी धार को खत्म कर दिया. बावजूद इसके वहां खासकर युवाओं की आवाजाही लगी रही. इन हादसों से अब युवाओं में भी भय का वातावरण है. [wpse_comments_template]
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