Hazaribagh : हजारीबाग के रहने वाले आरएसएस के प्रखर स्वयंसेवक दुर्गेश्वर रॉय का 85 साल की उम्र में निधन हो गया. कटकमदाग के रेवाली स्थित उनके आवास पर गुरुवार की रात उनका निधन हुआ. उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर लोगों का तांता लगा रहा. अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार में भी काफी लोग जुटे. उनका अंतिम संस्कार स्थानीय खीरगांव स्थित मुक्तिधाम में किया गया. उनके निधन से सामाजिक, राजनीतिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक क्षेत्र के लोगों ने गहरी संवेदना जतायी और उनकी आत्मा की शांति के लिये प्राथना की.
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बचपन में उठ गया था मां का साया
दुर्गेश्वर रॉय पीएम मोदी के बड़े प्रशंसकों में से एक थे. बोकारो स्टील सिटी में डिप्टी मैनेजर के पद से 1996 में सेवानिवृत्त हुए रॉय आजीवन समाज को राह दिखाते रहे. लोगों की परेशानी देखकर वह परेशान हो जाते थे और उसके समाधान के प्रयास में जुट जाते थे. दुर्गेश्वर रॉय वर्ष 1979-80 में छह माह के लिए रूस गए थे. वहां के विकास की पद्धति और मित्र राष्ट्र होने के कारण भारतीयों के प्रति वहां के लोगों की दीवानगी की चर्चा करते थे. उनके पौत्र विनीत सौरभ ने बताया कि उनके दादा जी के बताये रास्तों पर चलकर ही आज वह इंफोसेंस जैसी बड़ी कंपनी में इंजीनियर हैं. दुर्गेश्वर रॉय के तीन बेटे हैं, रॉय संजीत कुमार, रॉय संजीव कुमार और रॉय सुनील कुमार जो बड़े ओहदों पर काबिज हैं. उनकी एक पुत्री भी है. उनकी पत्नी बिमला रॉय का निधन वर्ष 2001 में हो गया था. दुर्गेश्वर रॉय जब पांच वर्ष के थे, उसी वक्त उनके सिर से माता का साया उठ गया था. काफी लंबे संघर्षों से उन्होंने अपना मुकाम खुद बनाया था. उनके निधन से आम से लेकर खास सभी लोग दुखी हैं.
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