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हजारीबाग : विभावि के स्थापना दिवस पर 17 सितंबर को आएंगे राज्यपाल

उत्साहित है विभावि परिवार, आयुक्त सह कुलपति ने सभी से सहयोग का किया आह्वान कार्यक्रम के लिए कोर कमेटी और विभिन्न समितियां गठित Hazaribagh : विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग स्थित विज्ञान भवन के आर्यभट्ट सभागार में 17 सितंबर को विश्वविद्यालय के 32वें स्थापना दिवस के आयोजन को लेकर बुधवार को बैठक की गई. इसकी अध्यक्षता करते हुए आयुक्त सह कुलपति सुमन कैथरीन किस्पोट्टा ने सभी से इस आयोजन को सफल बनाने में बढ़-चढ़कर सहयोग देने का आह्वान किया. छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष प्रो मिथिलेश कुमार सिंह ने जानकारी दी कि इस वर्ष स्थापना दिवस समारोह में कुलाधिपति सह राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को सुशोभित करने की सहमति प्रदान की है. बैठक में विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, निदेशक और काफी संख्या में विभिन्न विभागों के शिक्षक उपस्थित थे. विभावि के स्थापना दिवस पर राज्यपाल के आगमन की खबर पर सभी में उल्लास छा गया. आयोजन को लेकर एक कोर कमेटी तथा विभिन्न समितियों का गठन किया गया है. सभी समितियों के कार्य की समीक्षा की गई और विमर्श के बाद आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए. इसे भी पढ़ें :बोकारो">https://lagatar.in/bokaro-25-years-rigorous-imprisonment-to-the-youth-accused-of-raping-a-minor/">बोकारो

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शिक्षकों को किया जायेगा सम्मानित

विश्वविद्यालय के वित्त परामर्श सुनील कुमार सिंह ने आयोजन से संबंधित वित्तीय प्रस्ताव की जानकारी सदन को दी. उन्होंने यह भी बताया की कुलाधिपति से अनुमति प्राप्त हो गई है और वित्त समिति की बैठक के बाद जल्द अभिषद की बैठक आयोजित की जाएगी. यह भी प्रस्ताव लिया गया कि पिछले एक वर्ष में विश्वविद्यालय की सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को पूर्व वर्षों की भांति सम्मानित किया जाएगा. सर्वसम्मति से प्रस्ताव लिया गया कि कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक किया जाएगा. बैठक में विषयों का संचालन डॉ जॉनी रूफीना तिर्की ने और धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ कौशलेंद्र कुमार ने किया. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/09/vbu-officer-teacher_274-1.jpg"

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शुरू होते ही फिर लटका अन्नदा कॉलेज की जांच का मामला

-राज्यपाल के रिमाइंडर पर दो माह के बाद जागे पदाधिकारी -शासी निकाय ने नहीं दिया दस्तावेज अल्पसंख्यक का दर्जा बहाल रहने संबंधी भी मांगे गए कागजात Hazaribagh : अन्नदा कॉलेज में समाजशास्त्र के व्याख्याता डॉ केके अखौरी को नियमविरुद्ध अनिवार्य सेवानिवृत्ति समेत तीन बिन्दुओं की जांच का मामला एक बार फिर अधर में लटक गया है. दरअसल राज्यपाल सह कुलाधिपति के रिमाइंडर आदेश पत्र आने के बाद करीब दो माह के बाद मंगलवार को विनोबाभावे विश्वविद्यालय की टीम जांच के लिए अन्नदा कॉलेज गई. उन्होंने अन्नदा कॉलेज की ओर से अल्पसंख्यक महाविद्यालय लिखे जाने, डॉ केके अखौरी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने और निर्वाचित सीआर और यूआर बहाल किए जाने के मामले पर जांच शुरू की. राज्यपाल के आदेश से पूर्व वीसी डॉ अजीत कुमार सिन्हा की ओर से गठित जांच टीम के संयोजक सह विभावि के प्रोक्टर डॉ मिथिलेश कुमार सिंह ने कॉलेज प्रबंधन से जांच के बिन्दुओं पर दस्तावेज मांगे. कॉलेज शासी निकाय ने दूसरे दिन दस्तावेज देने की बात कह मामले को टाल गया. इधर जांच टीम में बतौर सदस्य शामिल विभावि के अन्य पदाधिकारी डॉ इंद्रजीत कुमार, डॉ पीसी देवघरिया, डॉ केके गुप्ता और डॉ राखो हरि विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस की तैयारी में जुट जाने की बात कही जा रही है. हालांकि दूसरे दिन भी अन्नदा कॉलेज की ओर से दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जाने की बात सामने आयी है. ऐसे में एक बार फिर मामला लटक जाने की बात कही जा रही है. दरअसल डॉ केके अखौरी को सेवानिवृत्ति के करीब 10 माह पहले बिना उनकी मर्जी के अनिवार्य सेवानिवृत्ति अन्नदा कॉलेज के शासी निकाय की ओर से दे दी गई. इसे भी पढ़ें :हाईकोर्ट">https://lagatar.in/high-court-directed-sahebganj-sp-to-appear/">हाईकोर्ट

ने साहेबगंज एसपी को हाजिर होने का दिया निर्देश, बच्चों की तस्करी से जुड़ा है मामला
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डॉ केके अखौरी ने राज्यपाल और विभावि प्रशासन से गुहार लगाते हुए जांच की मांग की थी

इस पर सवाल उठाते हुए डॉ केके अखौरी ने राज्यपाल और विभावि प्रशासन से गुहार लगाते हुए जांच की मांग की थी. उन्होंने बताया कि यूजीसी के तहत वेतनमान देने, इलेक्टेड कॉलेज रिप्रेजेंटेटिव और यूनिवर्सिटी रिप्रेजेंटेटिव बहाल करने की मांग उठाई थी. शासी निकाय ने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर इसी वजह से उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी. अनिवार्य सेवानिवृत्त देने का अधिकार जेपीएससी या राज्य सरकार को है. वहीं यह भी बताया जा रहा है कि अल्पसंख्यक का दर्जा खत्म होने के बाद भी अन्नदा कॉलेज पत्राचार में खुद को अल्पसंख्यक बताता रहा है. वहीं यूनिवर्सिटी या सरकार की ओर से जारी सूची में अन्नदा महाविद्यालय हजारीबाग को अल्संख्यक कॉलेजों में गिनती नहीं की जा रही है. झारखंड बनने के बाद इस कॉलेज का अल्पसंख्यक का दर्जा खत्म कर दिया गया है. [wpse_comments_template]

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