Pramod Upadhyay
Hazaribagh: पीएचइडी में लाखों का लोहा सड़ रहा है. सरकार को वर्षों से राजस्व का चूना लग रहा है. लेकिन इसे देखनेवाला कोई नहीं है. ऐसी स्थिति हजारीबाग के जल एवं स्वच्छता विभाग में है, जहां परिसर में झाड़ियों के बीच लावारिस हालत में वर्षों से लोहा सड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर पीएचडी के अंतर्गत कार्यरत जलसहिया 32 माह से बकाया मानदेय और प्रोत्साहन राशि के लिए गुहार लगा रही हैं. उस पर भी सुनवाई नहीं हो रही है.
जलसहिया संघ की अध्यक्ष सपना शर्मा कहती हैं कि अगर इन सड़ते लोहे और अन्य अनुपयोगी सामानों को विभाग बेच देता, तो उनका बकाया और प्रोत्साहन राशि का कुछ तो भुगतान हो जाता. वह कहती हैं कि शनिवार को वे लोग आंदोलन की रणनीति तय करेंगी. कहा कि अब उनका जीना मुश्किल हो गया है. कई जलसहिया आत्महत्या तक की धमकी दे रही हैं. वैसे सभी एक बार फिर आंदोलन की तैयारी में हैं. अध्यक्ष ने कहा कि बरही में मुखिया ने सरकार के पत्र के आलोक में जलसहिया पूनम देवी और रेणु देवी को हटा दिया. सरकार के पत्र में जिक्र है कि सिर्फ प्रोत्साहन राशि पर काम करना होगा, मानदेय नहीं मिलेगा. ऐसे में जलसहिया को समाज से भी ताने मिल रहे और घर-परिवार अर्थात पैसे के अभाव में रिश्तों में भी दरार आनी शुरू हो गई है.
जल सहिया संघ की अध्यक्ष सपना शर्मा ने बताया कि पूर्व की सरकार की ओर से 1000 रुपए मासिक मानदेय एवं प्रत्येक शौचालय पर 75 रुपए प्रोत्साहन राशि देने की बात कही गई थी. वह राशि मिल भी रही थी, लेकिन वर्तमान सरकार में महज तीन माह का ही मानदेय मिला. 29 अगस्त को प्रत्येक प्रखंड से एक-एक जल सहिया को रांची बुलाया गया था. लेकिन विभाग की ओर से हजारीबाग जिले से मात्र दो जल सहिया को रांची ले जाया गया. इस दौरान 290 रुपए का नाश्ता कराना था, लेकिन जल सहिया को दो पूड़ी और आलू की सब्जी खिलाकर भेज दिया गया.
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बड़कागांव की जलसहिया उर्मिला देवी कहती हैं कि वर्ष 2011 से 2018 तक भुगतान की आस में सबने काम किया. न तो मानदेय का भुगतान हुआ और न प्रोत्साहन राशि मिली. अब तक 30 बार से ज्यादा आंदोलन किया. धरना, प्रदर्शन और जुलूस निकाला, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. पूर्व के कार्यपालक अभियंता मार्कंडेय ने प्रोत्साहन राशि भुगतान का फॉर्म भी भरवाया, लेकिन कोई राशि नहीं मिली और उनका तबादला भी हो गया. सरकार ने राशि भेजी थी, लेकिन विभाग से नहीं मिला. कुल मिलाकर इस सबके बीच जल सहिया की स्थिति दयनीय है. इसके बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
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