Bismay Alankar Hazaribagh: हजारीबाग में भू-माफिया द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है. लेकिन प्रशासन इसे लेकर अधिक गंभीर नहीं दिख रहा है. मामला सारले मौजा का है. इसमें जिस जमीन को नक्शे पर नाला दर्शाया गया है उस पर प्रदीप मेहता दावा कर भराई करने में लगे हैं. खबर मिलने के बाद सीओ ने कागजात की मांग की. लेकिन दो दिन बाद फिर से कार्य शुरू कर दिया गया. इस मामले में अपर समाहर्ता राकेश रौशन ने कहा कि उन्होंने स्पष्ट आदेश दिया है कि सदर अंचलाधिकारी नाले के जमीन को चिह्नित कर उसे सुरक्षित करना सुनिश्चित करें. अब इसके बाद भी वहां निर्माण कार्य चल रहा है तो इसपर अंचलाधिकारी जवाबदेह होंगे. वहीं कटकमदाग के सिरसी मौजा का भी एक मामला है. इस सरकारी जमीन के अतिक्रमण को हटाने को लेकर 6 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री के जनसंवाद में एक आवेदन दिया गया था. आवेदनकर्ता पंचायत के स्वयंसेवक आलोक कुमार रवि थे. इस आवेदन पर सरकार के तत्कालीन संयुक्त सचिव प्रताप चंद्र कीचिंग्या ने उपायुक्त हजारीबाग को एक पत्र भेजा था. जिसमें सीधे तौर पर जांच उपरांत कार्रवाई करने के बाद विभाग को अवगत कराने का निर्देश दिया गया था. इस पर दस महीने के बाद 16 सितंबर 2020 को अंचलाधिकारी ने एसडीओ सदर को एक पत्र लिखा. जिसमें बताया गया कि सरकारी जमीन पर, जो गैरमजरूआ खास किस्म जंगल जमीन है, पर कुछ व्यक्तियों के द्वारा चहारदीवारी और मकान का निर्माण किया जा रहा है. सिरसी मौज के इस जमीन पर जिन व्यक्तियों ने अतिक्रमण किया है, उसके नाम भी दिए गए, लेकिन अतिक्रमण इसके बाद भी नहीं हटा. इसे भी पढ़ें- Russia">https://lagatar.in/russia-ukraine-war-ukraine-urges-pm-modi-to-intervene-talk-to-putin/">Russia
Ukraine War : यूक्रेन की पीएम मोदी से हस्तक्षेप की गुहार, पुतिन से बात करें… वहीं सिरसी मौज के जमीन पर दूसरी तरफ 8 मार्च 2021 को तत्कालीन हज़ारीबाग़ के कमिश्नर कमल जॉन लकड़ा ने एक अर्ध सरकारी पत्र (संख्या 372) उपायुक्त को लिखा था. जिसमें स्पष्ट तौर पर अतिक्रमित भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने को कहा गया. बहुत कम मामलों में कमिश्नर उपायुक्त को ऐसे पत्र लिखते हैं. यह पत्र सामान्य पत्रों से अलग होता है. इस पर कार्रवाई होना अवश्यंभावी माना जाता है. लेकिन इस पर भी कार्रवाई नहीं हुई. बाद में 16 सितंबर 2020 को एक नोटिस दिया गया. जिसमें जिन लोगों ने अतिक्रमण किया है, उन्हें कागज प्रस्तुत करने को कहा गया था. लेकिन किसी ने कागजात जमा नहीं करवाये. जिसने करवाये भी वो सही नहीं थे. फिर सरकार के आदेश के बाद कि जो जमीन सरकार की है उस पर सरकारी जमीन के ब्यौरे वाला एक बोर्ड लगाया जाए. उस आदेश के आलोक में यहां भी बोर्ड लगाए गए. लेकिन अतिक्रमणकारियों ने बेखौफ होकर उस बोर्ड को काट कर हटा दिया. फिर इसी मामले पर 1 फरवरी 2022 को अंचलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश राजस्व उपनिरीक्षक मुकेश रंजन को दिया. जिसमे स्पष्ट नाम के साथ लिखा गया कि अंचल के उप निरीक्षक मुकेश रंजन अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर अनुपालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे. लेकिन इस पर भी कुछ नहीं हुआ. इसे भी पढ़ें- यूक्रेन">https://lagatar.in/indians-trapped-in-ukraine-will-return-to-india-via-poland-pm-modi-will-talk-to-putin/">यूक्रेन
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हजारीबाग: सरकारी जमीन पर भू-माफिया कर रहे कब्जा, नहीं हो रही कार्रवाई

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