Hazaribagh : पिछले साल देश में कोरोना वायरस की मार से सभी उद्योग धंधे त्रस्त रहे खासकर छोटे व्यवसाय पर कोरोना कहर बन कर टूटा. छोटे सेक्टरों में निजी स्कूल भी बहुत प्रभावित हुए और उससे भी अधिक जो प्रभावित हुआ वह था छोटे स्कूलों में चलने वाले प्राइवेट सवारी गाड़ियां जो घरों से बच्चों को लेकर स्कूल पहुंचाती थी. इन छोटी गाड़ियों और बसों का हाल बेहाल है आलम यह है की पुरानी गाड़ियों के बाजार में 70 से 80 फ़ीसदी गाड़ियां यही स्कूल में चलने वाली जो बिक्री के लिए लाई गई है.
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पुराने वाहन बिक्री बाजार में आयी गाड़ियों में स्कूल वाहन सबसे अधिक
पुरानी गाड़ियों की खरीद बिक्री के तीन सेगमेंट हैं जिनमे पहला बड़े वाहनों का बाजार है जिसमें ट्रक और बस जैसी बड़ी गाड़ी आती है वही सवारी गाड़ियों में छोटी बसें और टाटा मैजिक जैसी गाड़ियां आती हैं हम इसी सेगमेंट की बात कर रहे हैं प्राइवेट स्कूल में इस्तेमाल होने वाली सवारी गाड़ी इसी सेगमेंट में आती हैं .अभी पुरानी गाड़ियों के बिक्री वाले बाजार में सबसे अधिक संख्या में स्कूल में चलने वाली गाड़ियां ही बिक्री के लिए खड़ी हैं. कोरोनावायरस ने इस व्यवसाय की कमर तोड़ दी है स्कूल बंद होने के कारण इन बैंक की क़िस्त गाड़ियों पर रखरखाव का खर्च टैक्स इतना बढ़ रहा है कि अपनी गाड़ियों के मालिक इन्हें औने पौने दाम पर बेचने को तैयार हैं लेकिन बाजार का हाल ऐसा है कि औने पौने दाम में बिक रही इन गाड़ियों को भी लोग खरीदने को तैयार नहीं है.
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स्कूल संचालक हैं परेशान
प्राइवेट स्कूल के संचालक धीरेंद्र बंशीधर का कहना है स्कूल काफी लंबे समय से बंद है और कहीं से कोई व्यवस्था नहीं है ऐसे में इन गाड़ियों की ईएमआई, सरकारी टैक्स और रखरखाव का खर्च बहुत है और छोटे स्कूल के मालिक के लिए ये सब झेल पाना बहुत मुश्किल भरा है ऐसे में वह औने पौने दाम में भी गाड़ियों को बेचने को तैयार है खुद उनकी एक बस है जिसे वह बेचना चाह रहे हैं लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे कर्ज बढ़ रहा है वह काफी परेशान है लगभग सभी सेक्टर खोल दिये गए हैं लेकिन अभी तक स्कूल के नहीं खुलने से सबसे ज्यादा मुसीबत इसी सेक्टर को हो रही है उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इस पर निर्णय लेगी और सब कुछ पहले जैसा होगा क्योंकि अगर यही स्थिति बहुत दिनों तक रही तो छोटा स्कूल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा .
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पुरानी गाड़ियों के खरीद बिक्री का बाजार पहले से ही है मंदा
हजारीबाग के पुराने गाड़ियों के खरीद बिक्री बाजार पर अगर नजर डालें तो यहां 4 से 5 रजिस्टर्ड पुराने गाड़ियों के फर्म हैं जबकि बगैर रजिस्ट्रेशन के 20 से 25 लोग पुरानी गाड़ियों की खरीद बिक्री का काम करते हैं 2019 में हर महीने यहां लगभग 200 से 250 गाड़ियों की खरीद बिक्री हो जाया करती थी लेकिन अभी यह संख्या लगभग 100 से 120 तक ही सिमट कर रह गई है .छोटी सवारी गाड़ियों वाले सेगमेंट में आज 70 फ़ीसदी गाड़ियां स्कूलों में चलने वाली सवारी गाड़ी है जो बिक्री के लिए है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बड़े पैमाने पर स्कूलों में चलने वाली गाड़ियां आज बेचे जा रहे हैं. अगर जल्दी स्कूल ना खुले तो शायद यह व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो जाएगा.
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