ने लगाया 650 करोड़ का जुर्माना, पत्थर व्यवसायियों में हड़कंप
कोनार नदी के उद्गम पर खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके आसपास केवल गोंडा डैम है. यह रेलवे साइडिंग से ढाई किलो मीटर की दूरी पर है. हकीकत यह है कि रेलवे साइडिंग से 500 मीटर की दूरी पर झारखंड की प्रमुख नदियों में से एक कोनार नदी का उद्गम स्थल है. साइडिंग बनने के बाद विलुप्त होने के कगार पर है. इसी कोनार नदी पर डीवीसी ने बिष्णुगढ़ इलाके में कोनार डैम का निर्माण किया गया है. रिपोर्ट में किसानों की फसल के प्रदूषण से खराब नहीं होने की बात कही गई है. हकीकत यह है कि आसपास के किसान अपने खेतों में कोयले के धूल से फैलने वाली गंदगी से परेशान हैं. इस कारण कई बार इनकी फसल बर्बाद हो चुकी है. इसे भी पढ़ें-राज्य">https://lagatar.in/increasing-naxalism-in-the-state-is-unfortunate-will-talk-to-chief-minister-dheeraj-prasad-sahu/8350/">राज्यमें बढ़ता नक्सलवाद दूर्भाग्य पूर्ण, मुख्यमंत्री से करेंगे बात- धीरज प्रसाद साहू इस वीडियो को भी देखें
नियम का पालन हो
बता दें हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के केसुरा पंचायत में एनटीपीसी के रेलवे साइडिंग पर एनजीटी कोर्ट का फैसला आया है. इसमें एनजीटी ने स्पष्ट आदेश दिया है कि 3 महीने के अंदर कन्वेयर बेल्ट से कोयले की ढुलाई सुनिश्चित की जाए. कहा गया है कि प्रदूषण विभाग के जो भी मानक हैं उसका पालन कड़ाई से हो रहा है कि नहीं यह भी प्रदूषण विभाग सुनिश्चित करे. बताया जाता है कि इस क्षेत्र में प्रतिदिन 5 से दस हज़ार कोयले की गाड़ियां गुजरती हैं. इससे पूरा इलाका भयानक प्रदूषण की चपेट में है. इस आदेश के बाद कन्वेयर बेल्ट से धुलाई होने के कारण ट्रकों से होने वाली धुलाई बंद हो जाएगी. इससे प्रदूषण बहुत कम होगा. इसे भी पढ़ें-सरकारी">https://lagatar.in/ignoring-government-instructions-illegal-mining-business-is-going-on-indiscriminately-in-ormanjhi/7557/">सरकारीनिर्देशों को अनदेखा कर ओरमांझी में धड़ल्ले से चल रहा है अवैध खनन का कारोबार

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