Hazaribagh : हजारीबाग सदर अस्पताल में एक साल के बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने शुक्रवार को जमकर हंगामा किया. दरअसल धनंजय सिंह और उनकी पत्नी अपने बेटे का इलाज कराने के लिए सुबह दस बजे अ्पताल पहुंचे थे. बच्चे को बुखार था और डॉक्टर ने उन्हें शिशू वार्ड में भर्ती करने की बात कही. वहीं बच्चें को लेकर जब परिजन शिशू वार्ड में पहुंचे तो वहां मौजूद नर्सों ने कागजात बनाने को कहा. जिसके बाद दंपती बच्चे को लेकर अस्पताल में कभी तीसरी मंजिल, तो कभी दूसरी मंजिल पर भटकते रहे. जब तक कागज बनता, बच्चे की जान जा चुकी थी. इस संबंध में धनंजय सिंह और उनकी पत्नी ने बताया कि बच्चे को जिस वक्त लाए थे, अगर तत्काल इलाज होता तो उसकी जान बच सकती थी. लेकिन भर्ती करने में दो घंटे का वक्त लग गया. घटना से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. परिजनों का कहना था कि अस्पताल में लापरवाही की वजह से बच्चे की जान गई है. जब तक ड्यूटी पर तैनात एएनएम पर कार्रवाई नहीं की जाती तबतक हम बच्चे के शव को लेकर नहीं जायेंगे.
दूसरा मामला अस्पताल में दिखा जहां लापरवाही से जा सकती थी महिला की जान
सदर अस्पताल में भर्ती ओकनी की निशा कुमारी पेट दर्द का इलाज करवाने बुधवार को सदर अस्पताल में भर्ती हुई थी. शुक्रवार को उसके हाथ में लगाई गई नीडल अचानक खुल गई और खून गिरने लगा. महिला नींद में सोई हुई थी. लेकिन सदर अस्पताल के किसी भी नर्स या कर्मी की नजर उन पर नहीं पड़ी. कुछ समय के बाद जब फर्श पर खून गिरने लगा, तो पास के बेड पर भर्ती मरीज की नजर पड़ी. जिसके बाद नर्स को बुलाया गया. महिला ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए सुपरिंटेंडेंट को पत्र लिखने की बात कही है. निशा कुमारी ने यह भी कहा कि सरकारी अस्पताल में अब इलाज करवाने के नाम से भी डर लगता है. महिला ने बगल वाले बेड पर भर्ती मरीज का शुक्रिया अदा किया और कहा कि अगर उनकी नजर नहीं पड़ती, तो जान चली जाती.
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