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स्वावलंबी मेले में बिखर रहा काजल के हुनर का जादू
हजारीबाग के पैराडाइज रिसोर्ट में स्वावलंबी मेले का आयोजन किया गया है. इसमें यह युवती काजल नंदी जमशेदपुर से पहुंची हैं. उन्होंने गुजरात ट्रेडिशन के आधार पर महिला आभूषण के व्यवसाय की शुरुआत कीं. वह शीशा, सीप और धागे से महिलाओं से जुड़ी शृंगार का सामान बनाती हैं. इसमें चूड़ी, माला, कमर धनी से लेकर कान की बाली तक शामिल हैं. इस यूनिट की खासियत यह है कि विलुप्त हो रहे भारतीय परंपरागत परिधान को फिर से जीवित करने का प्रयास किया है. यही कारण है कि जहां दर्जनों स्टॉल लगाए गए हैं. लेकिन इस स्टॉल के प्रति लोग स्वत: आकर्षित होकर आ रहे हैं. यही नहीं उनके उत्पाद खरीदे जा रहे हैं और लोग उस युवती के साथ सेल्फी भी ले रहे हैं.alt="" width="600" height="340" />
पाई-पाई को थी मोहताज, फिर भी कोविड काल में नहीं छोड़ा हौसला
काजल नंदी बताती हैं कि कोविड काल में व्यवसाय की स्थिति बेहद खराब हो गई थी. एक-एक रुपए के लिए कंपनी मोहताज हो गई थी. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दिन-रात मेहनत की. इसका सुखद फलाफल यह रहा कि फिर से वह कंपनी खड़ी हो रही है. उनका कहना है कि 1500 रुपए से तीन लाख तक का सफर बहुत परिश्रम वाला है. लेकिन तीन लाख भी यूनिट के लिए बहुत छोटी रकम है, चूंकि 20 लोगों को रोजगार दिया गया है. सभी महिलाएं आठ घंटे काम करती हैं और उन्हें वेतन देना होता है. इसके साथ-साथ सामान बनाने में पूंजी भी खर्च होती है. इस कारण इस व्यवसाय को और आगे बढ़ाने की जरूरत है. काजल यह भी कहती हैं कि यह सारे हैंडमेड सामान हैं और महिलाओं को प्रमोट करने की इच्छा से कंपनी बनाई गई है. अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार देना ही इस कंपनी का उद्देश्य है. इसे भी पढ़ें :शारदीय">https://lagatar.in/sharadiya-navratri-pm-modi-wrote-garbamusic-video-released/">शारदीयनवरात्र : पीएम मोदी ने लिखा गरबा…म्यूजिक वीडियो रिलीज…
कंप्यूटर साइंस से फैशन की ओर मुखातिब
काजल नंदी कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट हैं. लेकिन जुड़ाव फैशन से रहा. यही कारण है कि उन्होंने लिंक से हटकर काम किया और आज अपनी अलग पहचान बना रही हैं. वह अपनी उत्पाद परीतृप्ति कंपनी के नाम पर ऑनलाइन भी उपलब्ध करा रही हैं. काजल चाहती हैं कि इस कंपनी को इस तरह बढ़ाई जाए, जिसमें सैकड़ों महिलाओं को जोड़कर रोजगार दिया जा सके. हजारीबाग में उन्होंने पहली बार स्टॉल लगाया है. अब उन्हें इच्छा है कि देश के कोने-कोने में कंपनी के स्टॉल लगें और लोग उनकी कला को समझ सकें. काजल नंदी की परीतृप्ति कंपनी में राजवती, सावित्री मुर्मू, सुनीता, पुष्पा, टुसू समेत कई महिलाएं अपनी भविष्य को नई दिशा देने में लगी हुई हैं.alt="" width="600" height="340" />