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HC की मौखिक टिप्पणी: महिला और पुरुष कर्मियों में भेदभाव संविधान का उल्लंघन

Ranchi: जैप-10 महिला बटालियन की सिपाहियों की प्रोन्नति के लिए अलग वरीयता सूची तैयार करने के मामले को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. प्रार्थी के अधिवक्ता शुभाशीष सोरेन के मुताबिक, अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को यह निर्देश दिया है कि 6 सप्ताह के अंदर जैप-10 की महिला सिपाहियों की वरीयता सूची तैयार की जाए. इसे भी पढ़ें –मुजफ्फरपुर">https://lagatar.in/government-will-give-compensation-to-the-victims-of-muzaffarpur-ankhphodwa-incident-nitish-kumar/">मुजफ्फरपुर

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वरीयता सूची में सरकार अनदेखी कर रही है - वकील

हाईकोर्ट के न्यायधीश जस्टिस डॉ एसएन पाठक की बेंच ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि महिला और पुरुषों के बीच भेदभाव संविधान का उल्लंघन है. अधिवक्ता सुभाशीष सोरेन ने जानकारी देते हुए बताया कि सुनवाई के दौरान प्रार्थी उर्मिला कच्छप और अन्य की तरफ से अदालत को यह जानकारी दी गई, कि जैप-10 की महिला बटालियन की सिपाहियों की प्रोन्नति के लिए बनने वाली वरीयता सूची में सरकार अनदेखी कर रही है. राज्य सरकार की ओर से सिपाहियों की प्रोन्नति के लिए पुरुष और महिला सिपाहियों की अलग-अलग वरीयता सूची बनाई गयी है, जो कि गलत है. वरीयता सूची में भेदभाव के कारण कई महिला सिपाही 50 वर्ष की उम्र में भी प्रोन्नति से वंचित हैं. प्रार्थी की ओर से बहस सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार को 6 सप्ताह के अंदर कम्बाइंड सीनियरिटी लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया है. इसे भी पढ़ें –पीएम">https://lagatar.in/after-pm-modi-akhilesh-attacked-yogi-today-said-he-knows-ganga-is-dirty-so-did-not-take-a-dip/">पीएम

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