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Ranchi: JSSC रूल्स संशोधन के विरुद्ध झारखंड हाईकोर्ट में दायर याचिका पर बुधवार को भी सुनवाई हुई. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब इस महत्वपूर्ण मामले में अदालत का क्या रुख होगा यह झारखंड में सरकारी नियुक्तियों में शामिल होने की उम्मीद रखने वाले हजारों युवाओं को प्रभावित करेगा. राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सुनील कुमार ने पक्ष रखा. प्रार्थियों की ओर से झारखंड हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज, अधिवक्ता कुमार हर्ष और कुमारी सुगंधा ने अदालत में बहस की. वहीं जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजोय पिपरवाल ने बहस की. बुधवार को कोर्ट में पांच घंटे तक बहस हुई. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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सुनवाई के दौरान अदालत ने यह जानना चाहा कि आखिर हिंदी विषय को हटाने के पीछे क्या वजह है
प्रार्थी रमेश हांसदा एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसमें राज्य सरकार द्वारा JSSC नियमावली में किये गए संशोधन को गलत बताया गया है. साथ ही इसे निरस्त करने की मांग अदालत से की गई है. याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार ने नियमावली में संशोधन किया है, जिसके तहत राज्य के संस्थान से ही दसवीं और 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्र ही नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे. यह नियम सिर्फ सामान्य श्रेणी के छात्रों पर ही लागू होगी, जबकि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के मामले में यह आदेश लागू नहीं होगा. वहीं भाषा के पेपर से हिंदी और अंग्रेजी को भी हटा दिया गया है. जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया भाषा को शामिल किया गया है. इन शर्तों के कारण JSSC के द्वारा नियुक्तियों के लिए जारी विज्ञापन में कई अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए इस नियमावली को रद्द किया जाना चाहिए.
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