Mathura : मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मस्जिद के मामले पर आज मथुरा जिला एवं सत्र न्यायालय (District and Session Court, Mathura) में सुनवाई हुई. अदालत में 1968 में हुए समझौते पर सुनवाई शुरू हुई. श्री कृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की ओर से 13. 37 एकड़ भूमि, जिसमें ईदगाह भी शामिल है, की मिल्कियत के कागज न्यायालय में प्रस्तुत किये गये. जान लें कि साल 1968 में कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच हुए समझौते को अदालत में चुनौती दी गयी है. ट्रस्ट ने 13.37 एकड़ जमीन पर अपना दावा किया है.
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श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट जमीन का असली मालिक है
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णुशंकर जैन ,रंजना अग्निहोत्री आदि ने खुद को भगवान श्रीकृष्ण का भक्त बताते हुए कोर्ट में अर्जी दायर की है. दावे में 1968 में शाही ईदगाह मस्जिद और श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान के बीच हुए समझौते को चुनौती दी गयी है. अर्जी में कहा गया है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट जमीन का असली मालिक है, सेवा संस्थान को इस समझौते का अधिकार नहीं था.
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13.37 एकड़ भूमि के पेपर न्यायालय में प्रस्तुत किये गये
इस वाद के अधिवक्ता गोपाल खंडेलवाल का कहना है कि रिवीजन स्वीकार होने के बाद अन्य पक्षकारों द्वारा न्यायालय से आदेश की प्रति मांगी गयी है. न्यायालय ने इसे उपलब्ध कराने निर्देश दे दिये हैं. श्री कृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के वकील मुकेश खंडेलवाल का कहना है कि 13.37 एकड़ भूमि जिसका मालिकाना हक श्री कृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम है, आज उन्होंने इसके पेपर न्यायालय में प्रस्तुत किये . बताया कि इसके खसरा खतौनी और नगर निगम के डॉक्यूमेंट न्यायालय में पेश किये गये हैं. कहा कि न्यायालय ने पत्रावली को रिजर्व रख लिया है. अभी इस मामले में अगली तिथि तय नहीं की गयी है. कोर्ट में एक और याचिका दायर कर मांग की गयी है कि शाही ईदगाह को संरक्षित किया जाये ताकि वहां सबूतों से छेड़छाड़ नहीं की जा सके.
सभी पक्षों को याचिका की कॉपी देने का आदेश
मुख्य न्यायाधीश ज्योति सिंह ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष से कहा कि याचिका की कॉपी सभी पक्षों को दी जाये. हिंदू पक्ष ने भी कहा कि सभी पक्षों को कोर्ट में बुलाया जाना चाहिए. हिंदू पक्ष के एक वकील गोपाल खंडेलवाल ने आज सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट के बाहर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि सिविल कोर्ट ने इस याचिका को खारिज किया था जो दुर्भाग्यपूर्ण है. वकील ने कहा कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने माना कि हिंदू पक्ष का दावा अदालत में सुनवाई को योग्य है. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने सभी पक्षों को याचिका की कॉपी देने का निर्देश देते हुए सभी को आदेश दिया कि वो जल्द से जल्द अपने-अपने जवाब कोर्ट में दाखिल करें.