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झारखंड में पिछले 35 वर्षों में हीटवेव की घटनाओं में 300 फीसदी हुई वृद्धि

Ranchi :  झारखंड में पिछले 35 वर्षों के दौरान हीटवेव (उष्ण लहर) की घटनाओं में 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. यह खुलासा सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा मंगलवार को आयोजित एक स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन कार्यक्रम में किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक गर्मी की घटनाओं पर डेटा-आधारित शोध को बढ़ावा देना और राज्य-विशिष्ट एक्शन प्लान तैयार करना था. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2025/05/Untitled-5-43.jpg"

alt="" width="600" height="400" />   कार्यक्रम में सीड द्वारा तैयार शोध रिपोर्ट ‘स्कॉर्चिंग रियलिटी : राइजिंग हीटवेव्स इन इंडिया – द केस ऑफ झारखंड’ जारी की गई. इसमें वर्ष 1990 से 2024 तक की हीटवेव की घटनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में झारखंड में कुल 590 दिन हीटवेव रिकॉर्ड की गई, जो राज्य में हीटवेव की आवृत्ति में लगभग 300% की वृद्धि को दर्शाता है.   महीनों के हिसाब से आंकड़े
  • मई: 275 दिन
  • अप्रैल: 183 दिन
  • जून: 132 दिन
  क्षेत्रीय स्तर पर गढ़वा, पलामू, लातेहार और सिमडेगा जैसे पश्चिमी और मध्य जिले सबसे अधिक प्रभावित रहे. वहीं गोड्डा और साहिबगंज जैसे पूर्वी जिलों में तुलनात्मक रूप से कम हीटवेव के दिन रिकॉर्ड किए गए कार्यक्रम में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र (रांची) के वरिष्ठ अधिकारी, राज्य के प्रमुख शैक्षणिक संस्थान, सार्वजनिक स्वास्थ्य, जलवायु अनुकूलन एवं सामुदायिक विकास से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए.   विशेषज्ञों की राय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री ए.के. रस्तोगी, सेवानिवृत्त आईएफएस एवं अध्यक्ष, टास्क फोर्स–सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन (झारखंड सरकार) ने कहा कि “जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से कोई क्षेत्र या समुदाय अछूता नहीं है. हीटवेव का सबसे अधिक प्रभाव गरीब, वंचित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर पड़ता है .उन्होंने संवेदनशील जिलों के लिए एक्शन प्लान तैयार करने और स्वास्थ्य एवं आर्थिक नुकसानों पर और अधिक शोध की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. इस अवसर पर श्री रवि रंजन, आईएफएस, एडिशनल प्रिंसिपल चीफ कंज़र्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (कैम्पा) एवं स्टेट नोडल ऑफिसर फॉर क्लाइमेट चेंज (झारखंड सरकार) ने जलवायु अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया. कार्यक्रम के समापन पर सीड के सीईओ रमापति कुमार ने कहा कि, जलवायु कार्रवाई को प्रभावी बनाने के लिए वैज्ञानिक डेटा, स्थानीय ज्ञान और सामुदायिक अनुभवों को एक मंच पर लाना अत्यंत आवश्यक है    इसे भी पढ़े-वक्फ">https://lagatar.in/shopkeepers-of-morhabadi-demonstrated-in-front-of-the-municipal-corporation-expressed-displeasure-over-accommodating-all-the-shops-at-one-place/">वक्फ

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