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HEC ने प्रति एकड़ 11 करोड़ जमीन का रेट किया निर्धारित, चार सरकारी कंपनियां लेंगी जमीन

Ranchi : एचईसी प्रबंधन ने अपनी खाली जमीन का रेट निर्धारित कर दिया है. कंपनी गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है. ऐसे में एचईसी ने अपनी जमीन लीज कर देकर आर्थिक संकट से उबरने की योजना बनायी है. एचईसी के आला अफसरों का मानना है कि जमीन को लीज पर देने से 300 करोड़ से अधिक की राशि मिलेगी. इस राशि का उपयोग कार्यशील पूंजी के रूप में किया जाएगा. ताकि कोविड महामारी खत्म होने के बाद उत्पादन की रफ्तार बढ़ायी जा सके. समय पर कार्यादेश की आपूर्ति की जा सके.

एचईसी प्रबंधन द्वारा निर्धारित किए गए जमीन के दर को निदेशक मंडल की मंजूरी भी मिल चुकी है. जिसके बाद एचईसी प्रबंधन ने जमीन को लीज पर देने से संबंधित विस्तृत प्रस्ताव भारी उद्योग मंत्रालय को भेज दिया है. प्रस्ताव पर मंत्रालय की मुहर लगने के बाद एचईसी प्रबंधन जमीन लीज पर देने की प्रकिया शुरू करेगा. एचईसी प्रबंधन के पास वर्तमान में राशि उगाही के लिए खाली जमीन पड़ी हुई है. जिसपर लगातार">https://lagatar.in/">लगातार

कब्जा हो रहा है. ऐसे में प्रबंधन ने खाली जमीन को लीज पर देकर कार्यशील पूंजी की कमी दूर करने का फैसला लिया है.

चार सरकारी संस्थानों को जमीन देने का हुआ है निर्णय

एचईसी ने चार सरकारी संस्थानों को जमीन लीज पर देने का निर्णय लेकर उसे आगे की प्रक्रिया के लिए निदेशक मंडल के पास भेजा था. जिसमें एनटीपीसी, टीवीएनएल, भारतीय स्टेट बैंक और ओएनजीसी को जमीन देने का निर्णय लिया गया है. सभी को 29 साल के लिए लीज पर जमीन दी जाएगी. प्रति एकड़ 11 करोड़ की दर से निर्धारित की गयी है. तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड को दो एकड़, ओएनजीसी, भारतीय स्टेट बैंक और एनटीपीसी को 10-10 एकड़ जमीन लीज पर देने का निर्णय लिया गया है.

जमीन का रेट दोगुना होते ही पीछे हट गयी कई कंपनियां

एचईसी से लीज पर जमीन देने के लिए 11 सरकारी कंपनियों ने आवेदन दिया था. शुरू में एचईसी ने जमीन की दर प्रति एकड़ 5.50 करोड़ निर्धारित की थी. लेकिन भारी उद्योग मंत्रालय ने लीज की दर को कम बताया था. उसे बढ़ाने का निर्देश दिया था. जिसके बाद एचईसी ने लीज की दर बढ़ाकर प्रति एकड़ 11 करोड़ रुपये कर मंजूरी के लिए प्रस्ताव भारी उद्योग मंत्रालय को भेजा. मंत्रालय ने इसे मंजूरी दे दी. नई दर से सिर्फ चार कंपनियों ने ही जमीन लेने पर सहमति दी है. शेष 11 कंपनियों ने दर अधिक होने की बात कह जमीन लेने से इनकार कर दिया.

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