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राउरकेला प्रबंधक ने उपयोगी नहीं हुई 5000 एकड़ को लौटाया,HEC बेच रहा
डॉ उरांव ने कहा कि राउरकेला और HEC क्षेत्र दोनों जगह आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण का काम 1954 में शुरू हुआ. लेकिन आज की स्थिति यह है कि राउरकेला जहां मुनाफे में चल रही है, वहीं HEC घाटे में. उन्होंने कहा कि राउरकेला ने जो जमीनें ली थी, उसमें उपयोग नहीं हुई 5000 एकड़ को प्रबंधक ने ओड़िशा सरकार को लौटा दिया. लेकिन HEC ने ऐसा नहीं किया. आज उनकी जमीनें करोड़ के रेट से बेची जा रही है. उन्होंने राउरकेला की तर्ज पर HEC प्रबंधकों से सरप्लस जमीन लौटाने की मांग की. कांग्रेस नेता ने कहा कि वे इस बारे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी बात करेंगे.कॉपोरेट सहयोगियों को मदद पहुंचाने यूपीए सरकार के बनाये कानून में हुआ बदलाव
सुबोधकांत ने कहा कि वे पिछले 40 सालों से HEC विस्थापितों की मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं. यूपीए सरकार के रहते कांग्रेस पार्टी ने भूमि अधिग्रहण कानून-2013 बनायी थी. उसमें पुनर्वास सहित अधिग्रहित जमीनों का पांच साल तक उपयोग नहीं होने पर उसे वापस रैयतों को लौटाने का जिक्र था. लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही अपने कॉरपोरेट सहयोगियों को मदद पहुंचाने के लिए इसमें छेड़छाड़ कर दिया.नियमों को ताक पर रखकर विस्थापितों की जमीन बेच रहा HEC
राजेश कच्छप ने कहा कि आज नियमों को ताक पर रखकर HEC विस्थापितों की जमीनों को करोड़ में बेच रहा है. यह काम अब स्मार्ट सिटी परियोजना के नाम पर हो रहा है. जमीनों को लुटाने के लिए हर तरह के हथकड़े अपनाये जा रहे हैं, जिसका विरोध जरूरी है. इसे भी पढ़ें - जानिए">https://lagatar.in/know-9-such-naxalites-of-jharkhand-nia-will-give-26-lakh-reward-to-the-one-who-informs/37349/">जानिएझारखंड के 9 ऐसे नक्सलियों को, जिनकी सूचना देने वाले को NIA देगी 26 लाख इनाम
हेमंत सरकार में विस्थापितों की जमीन वापसी का काम हुआ शुरू
राजेश ठाकुर ने कहा कि राज्य में हेमंत सोरेन सरकार विस्थापितों के जमीनों को वापस दिलाने की दिशा में सजग है. बड़कागांव में एनटीपीसी द्वारा अधिग्रहित जमीनों को वापस कर इसकी शुरूआत हुई है. उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ हमें एकजुट होकर लड़ाई लड़ना होगा.विस्थापितों की निम्न मांगें रही शामिल
ख़ातियानी रैयतों की जमीन पर बने नये विधानसभा तथा हाईकोर्ट भवन का रैयतों के नाम रेंट निर्धारित हो. राष्ट्रीय जनजाति आयोग द्वारा सितंबर 2016 को दी गई रिपोर्ट के आधार पर गांव के विस्थापितों को जमीन का रजिस्ट्रेशन व म्यूटेशन हो. कूटे, तिरिल, लाबेद, आनी, भूसुर, जगन्नाथपुर, मुड़मा गांव के ख़ातियानी रैयतों को मालिकाना हक मिले. पूर्व में हुए विस्थापितों के लिए अस्पताल और कॉलेज स्कूल की व्यवस्था हो.342 एकड़ में फैले लाबेद का HEC द्वारा अधिग्रहण नहीं हुआ है. इसके 101 एकड़ जमीन पर सीआरपीएफ का कब्जा है. 138 एकड़ जमीन का रसीद काटा जाए.मुड़मा ग्राम में 22 निजी और सरकारी संस्थानों को दी जा रही जमीन पर हो रहे निर्माण कार्य को रोका जाए. इसे भी पढ़ें -रघुराम">https://lagatar.in/raghuram-rajan-said-the-goal-of-indian-economy-of-5000-billion-was-not-carefully-calculated/37407/">रघुरामराजन ने कहा, 5,000 अरब डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को लेकर सावधानी से गणना नहीं की गयी
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