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नाकाम सरकार का बेबस मुखिया अपने अवाम को संयम का पाठ ही पढ़ायेगा!

Soumitra Roy
Ethos, Pathos, logos
ग्रीस के महान दार्शनिक अरस्तू ने लोगों को कोई बात मनवाने के लिए इन तीन उपायों का सहारा लेने का सिद्धांत दिया था.
Ethos- यानी विषय पर अधिकार या महारत
मोदी ने मंगलवार रात अपने 20 मिनट के भाषण में पीएम होने के नाते अपनी बात कही. लेकिन हर मुद्दे पर उनकी महारत की पोल खुल चुकी है. यानी मोदी की विश्वसनीयता शून्य होती जा रही है.

Logos: यानी लॉजिक
मोदी ने कहा कि भारत ने 12 करोड़ लोगों को टीका लगवाया. 135 करोड़ में से 12 करोड़. सिर्फ 8.9%. कोई लॉजिक नहीं. ऑक्सीजन और इलाज की सुविधाएं मज़बूत हो रही हैं. ये भी तर्कहीन है. मोदी देश के लोगों को कोविड अनुशासन का पाठ पढ़ा गए. अब उन्हें भीड़ दिख रही थी. दो दिन पहले तक भीड़ देख कर आह्लादित हो रहे थे. इसके बाद मोदी और केंद्र सरकार की संवेदनशीलता सबने देखी है.
Pathos: भावनाएं भड़काना व सहानूभूति बटोरना.
दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन भारत की, लेकिन पूरे देश में वैक्सीन का टोटा है. अब राज्य महंगी वैक्सीन खरीदेंगे. तो श्रेष्ठता का दावा भी खोखला ही साबित होगा ना.
बाल मित्र जैसी बात किसी हेल्थ टॉनिक के विज्ञापन के लिए बच्चे को खड़े करने जैसा लगा. तो 20 मिनट के भाषण से आपने क्या सीखा? एक लाइन कोई बता नहीं पा रहा.

यही कि देश में लॉकडाउन की नौबत न आने दें. समझ में नहीं आ रहा था, मोदी राज्यों को समझा रहे थे या धमका रहे थे? क्या उन्हें 2 मई का इंतज़ार है ? वैसे मोदी ने यह कह कर एक साल पहले के फैसले को गलत करार जरुर दे गये.
एक नाकाम सरकार का बेबस और देश को बदहाल बनाने वाला मुखिया अपने अवाम को संयम का पाठ ही पढ़ायेगा.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.

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