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हेमंत सरकार अबुआ राज अबुआ दिशुम की बात सिर्फ नारों में न हो, जमीन पर भी उठायें कदम - बहादुर उरांव

Pravin kumar RANCHI : कोल्हन विश्वविद्यालय में कुडुख भाषा की पढ़ाई की मांग विश्वविद्यालय के गठन से ही होता रहा है. इस मांग के समर्थ में कोल्हान के पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला में आंदोलन भी हुये. पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान मांग को लेकर कई बार चाईबासा, चक्रधरपुर, मनोहरपुर ,पोसौता, जराईकेला, खरसावां ,सीनी, जगन्नाथपुर में प्रर्दशन भी किया गया.  पहले चक्रधरपुर के जवाहरलाल नेहरू कॉलेज में कुड़ुख भाषा की पढ़ाई होती थी. लेकिन अब वहां भी इसकी पढ़ाई बंद कर दी गयी है. इसे भी पढ़ें -झारखंड">https://lagatar.in/jharkhand-police-is-active-on-twitter-29-problems-being-dealt-with-every-day/14751/">झारखंड

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2016 के नवंबर में मांग को लेकर किया गया था अनशन

कोल्हन विश्वविद्यालय में कुड़ुख भाषा की पढ़ाई की मांग को लेकर 16 नवम्बर 2016 को राजभवन के समक्ष आंदोलनकारी भूख हड़ताल पर बैठे थे. भूख हड़ताल पर बैठे आंदोलकारियों के वर्तमान के सीएम हेमंत सोरेन ने नारियल पानी पिलाकर अनशन तोड़वाया था. साथ ही उस समय विपक्ष पर बैठे हेमंत सोरेन ने आंदोलनकारियों के मांग को जायज बताया था. जायज बताते हुए उन्होने कोल्हन विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों में कुड़ुखभाषा की पढ़ाई शुरू करने की बात कहीं थी. लेकिन जब आज झारखंड में उनकी सरकार है तो कोल्हन विश्वविद्यालय  में नये तीन भाषा विभाग ही बनाये गये. जिसमें हो, संथाली और कुडमाली भाषा की शुरूआत की गयी. इसे भी पढ़ें -बोकारो">https://lagatar.in/bokaro-encroachers-occupy-the-pond-pil-filed/14750/">बोकारो

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कुड़ख जनजाति के लोगों को नये साल में काफी ठेस पहुंचा है

चक्रधरपुर के पूर्व विधायक बहादुर उरांव कहते है कि सूबे में झारखंड मुक्तिमोर्चा के नेतृत्व में सरकार चल रही है. कोल्हन विश्वविशालय के इस फैसले से कुड़ुख जनजाति के लोगों को नये साल में काफी ठेस पहुंचा है. सरकार अपने वादे को पूरा करे. अगर सरकार अपना वादा पूरा नहीं करती है तो हमलोगों को फिर से आंदोलन करना होगा और यह आंदोलन हमारी अपनी सरकार के खिलाफ भी होगा. इसे भी पढ़ें -रांची">https://lagatar.in/ranchi-results-of-cat-2020-released-aditya-of-jamshedpur-became-jharkhand-topper/14747/">रांची

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CMO को भेजा जा चुका है पत्र

बहादुर उरांव ने कहा कि झारखंड सरकार का ध्यानाकृष्ट कराने के लिये CMO को पत्र भेज दिया गया है. इस मांग के समर्थन में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन भी किया जायेगा. यह धरना प्रदर्शन चक्रधरपुर प्रखंड कार्यालय प्रांगन में 7 जनवरी 2021 को किया जायेगा है. अगर सरकार अपने वादे को नहीं पूरा करती है तो कोल्हान में भाषायी अधिकार प्राप्त करने के लिये अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज किया जायेगा. अबुआ राज्य अबुआ दिशुम की बात करने वाली सरकार को नारों से निकलकर जमीन में भी काम करना होगा. तब ही अबुआ राज्य का सपना साकार हो पायेगा. इसे भी पढ़ें -बोकारो">https://lagatar.in/bokaro-many-families-looking-for-bread-in-the-garbage-heap-unknown-to-government-schemes/14744/">बोकारो

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2016 में किये गये अनशन में क्या थी मांग

बहादुर उरांव के नेतृत्व में 16 नवंबर 2016 को राजभवन के समक्ष भूख हड़ताल किया गया था. इस भूख हड़ताल को वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन जायज बताते हुए भूख हड़ताल तोड़वाया था. आंदोलनकारियों के प्रमुख मांगों में राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने एवं आदिवासियों की जमीन अवैध कब्जे से मुक्त करने, झारखंड आंदोलन के शहीदों को सम्मान और उनके परिजनों को नौकरी देने के साथ ही कोल्हान विश्वविद्यालयों में कुड़ुख भाषा की पढ़ाई शुरू कराने की मांग की जा रही है. इसे भी पढ़ें -बोकारो">https://lagatar.in/bokaro-injured-worker-dies-during-work-at-bsl-plant-personnel-at-bgh-created-ruckus/14738/">बोकारो

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