Sanjay Singh जी हां ई पलामू की धरती है, जो दूसरो देने यानि केनियो रहेवाला लोगन के सीने से लगाईके सिर-आंखों पर बइठा लेती है. पहिले आरा जिला घर बा, कवन बात के डर बा वाला नया-नवेला नेताजी के सीने से लगाईक ऊपरे छानी पर चढ़ा दीहिस. अब छानिया पर चढ़ाती कइसे नहीं भाई, पुलिस अफसर थे, नेतई में उतरे तो गले लगाइबे न करेगी. ऊपरे से दामाद जी भी हैं. ससुरारी वालों ने तो नेताजी के अईसन गिफ्ट दीहिस कि पूछिए मत, सीधे दिल्लीए पहुंचा दीहिस. दामाद बाबू भी गदगद. ससुरारीवाले लोग दु-तीन बेर से दामाद बाबू परे तिनाका बेसिए ध्यान देले रहे, तो भला दामाद बाबू भी काहे न ससुरारी पर प्यार लुटाएंगे. वईसे पलामू के लोगबाग कहे लगीस है कि भाई दामाद बाबू के हमनी घरजमाई बना ले ली है. जमाई बाबू के मंत्री पद जरूर मिले के चाही. जनता-जनार्दन दांत निपोरले है, लेकिन ना जाने दामाद जी के किस्मतवा रुठ के केने घुसिया गईस है कि उनको न बुजा रहल है. ओने ऊनके अपने निजी ससुरारी वाले ऑरिजनल साला साहिब के किस्मतवा तो पहिले एकदम से चमचमाईल रहलई. खूबे सत्ता सुख भोगले हथीन, लेकिन बाद में दलबदलू के ठप्पा लगाईले जेने-तेने छिछायावे लगलथीन तो जनता जनार्दन भी मुंह फेर लीहिन. लेकिन अबकिर भाई लोग बता रहीन है कि खुद के टिकट ला ज्यादा परेशान ना हथुन, अब तो छुन्नी भइयाजी बेटवा लगी जेने-तेने छिथिया रहलथुन है. अब इहे पलामूआ में कोल्हान देने से एगो नेताजी तीर-धनुष लेले जबरियां पिछला चुनाउवा में टपक गईन. चलावे लगलथुन ठकुराई. ईहा के जनता-जनार्दन ठाकुर साहिब के आगे बढ़ के लोक लीहिन. ठाकुर सेहाबि के सीने से लगाईके भेज दीहिन विधानसभा. पहिला दफा भाई कोई पलामू से तीर-धनुष लेके सटीक निशाना साध दीहिस, तो मंत्री रूपी पुरस्कारो ठाकुर साहिब के भे्ंटा गईस. मंत्री पद मिले के बाद नेताजी के साथे साथ उनके लग्गू-भग्गू में बउरईनी ढुक गईस. फिरो का हलई, जनता-जनार्दन के अब खटकईत है. लेकिन ठाकुर साहिब पूरा जोर लगाईले हैं. बाबू-भइया, नाना-मुन्ना, चचा-चाची, दादा-दाही बोलले गोड़ परिया कईले घूम रहिन हैं. ठाकुर साहिब के तनिका आभास हो गईस है कि पासा पलटियो सकईत हे, तो तनिका ज्यादा हांफे पड़ रहलई हे.लेकिन ई हे पलामू में एगो अईसन इलाका भी हई, जहां के पांकी में अभी कमल खिलल हई. अब देखिए, ईहां के एगो कुशवाहा जी पहिले से ही सीटिंग हथीन, लेकिन उनका धकियावे लगी एगो कोल्हान ब्रांड नेताजी आचानके अवतरित हो गेलथून है. जेने-तेने घूम-घूम के पहिलका वाले शिक्षा के दुकान चलावे नेताजी के टेंशन दे रहलथून हे. शिक्षा दुकान वाले कमल ब्रांड नेताजी जी के तनिका ज्यादा ही भाग-दौड़ करे पड़ रहलई हे. अब कोल्हान ब्रांड नेताजी के जवानी में पंजा लड़वईया पार्टिया के छात्र विंगवा में धमा-चौकड़ी मचावे के अनुभव तो था हीं, तो सोच लीहिन कि काहे न खुदे राजनीति में किस्मतवा आजमाईल जाए. वईसे पंजा छाप की राजनीति के बाद अचानके लुप्त हो गईन. फिर मधु के मजा लेवे लगे, तो कुछ उनके करीबी के रूप में खूबे ख्याति पाए. केस-मुकदमा भी झेले पड़ गिया. लेकिन का कहल जाए, साहिब गीत गईले फिरे लगे, जो है नामवाला वहीं तो बदनाम है. के्र ऊ सब से उबरे, लेकिन कोड़ा दंपत्ती का करीबी होवे का लेवल लगाईले घूमे लगे. दंपत्ती ला फील्ड सजाईते -सजाईते साहिब के दिमगवा में बइठ गईस कि जब ऊ लोग के पील्डवा सजाईए लेते हैं,. तो काहे न अपनेहुं लगी कुछ कईल जाए. बस पहिले मुफीद जगह तलाश लीहिन, अपन लग्गू-भग्गू लोगन के सहारे फील्ड भी तैयार कर लीहिन और पिछला दु महीना से पूरा इलाके के गींजे लगस हैं. वइसे ई नव अवतरित कुशवाहा महोदय चप्पा-चप्पा छान रहिन हैं. जेने-तेने छिछिया रहीन हैं. लोग के खूबे मददो कर रहीन हैं. पइसो पानी जईसन बहा रहीन हैं. खाद-बीच भी बंटवावे लगीन हैं. नेताजी अब कुशवाहा...फलाना जीके नाम से इलाका में वायरल हो रहे हैं. पोस्टर-बैनर से पूरा इलाके के पाट दीहिन हैं. खुद के कमल ब्रांड नेता घोषित करके पहिलका वाले कुशवाहा साहिब अउर शिक्षा के दुकान चालेवाला के पूरा टेंशन दे दीहिन हैं. अब देखिए आगे-आगे होता है क्या. ईहां तो दु गो कुशवाहा के टक्कर में कहीं सियारवन के चांदी न हो जाए. वईसे आवे वाला समय ही बताएगा कि किस कुशवाहा के अंटी में कितना ह दम. काहे कि ईहां टिकट हथियावे से लेकर चुनाव तक में अंटी ढीला करे पडे़गी, ई तो तय है. वईसे ई कोल्हान ब्रांड कुशवाहा साहिब के लग्गू भग्गू लोगन गीत गईले है, ए भाई जरा देख के चलो, आगे-पीछे ही नहीं, ऊपर-नीचे भी देख के चलो. इसे भी पढ़ें - ईशा">https://lagatar.in/isha-foundation-case-supreme-court-stays-madras-high-courts-investigation-order-transfers-the-case-to-itself/">ईशा
फाउंडेशन केस : मद्रास हाई कोर्ट के जांच आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, मामला अपने पास ट्रांसफर किया [wpse_comments_template]

चुनावी चकल्लस: ए भाई जरा देख के चलो, आगे-पीछे ही नहीं ऊपर-नीचे भी, मैं भी कुश, वाह-वाह भाई वाह-वाह...
