Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक व्यक्ति को बरी कर दिया है. सोमवार को प्रार्थी नन्दलाल यादव की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सिर्फ सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 164 के तहत दिया गया बयान किसी को दोषी ठहराने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता, क्योंकि यह कोई ठोस सबूत नहीं है.
इसी आधार पर, अदालत ने नंदलाल यादव नामक व्यक्ति को हत्या के मामले में बरी कर दिया. नन्दलाल यादवन को गोड्डा सिविल कोर्ट ने वर्ष 1998 में हत्या के जुर्म में दोषी करार दिया था. इस फैसले के खिलाफ उन्होंने अपीलन दायर की गई थी.
हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति राजेश कुमार की खंडपीठ में नन्दलाल यादव की अपील पर सुनवाई हुई. नंदलाल यादव की ओर से पक्ष रख रही अधिवक्ता प्रियंका बॉबी ने तर्क दिया कि यह दोषसिद्धि केवल ‘अनुमानों और अटकलों’ पर आधारित है, क्योंकि घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था और दोष सिद्ध करने के लिए डायरेक्ट एविडेंस (सीधे साक्ष्य) नहीं थे.
वहीं राज्य सरकार की ओर से पक्ष्र रख रहे अपर लोक अभियोजक सुबोध कुमार दुबे ने इन दलीलों का विरोध किया लेकिन कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलें स्वीकार करते हुए प्रार्थी को राहत प्रदान कर दी.
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