Ranchi : हाईकोर्ट ने IAS अधिकारी पूजा सिंघल की याचिका खारिज कर दी है. अब मनी लाउंड्रिंग के आरोप में बिना अभियोजन स्वीकृति भी उनके खिलाफ ट्रालय चलेगा. न्यायाधीश अंबुज नाथ की अदालत ने पूजा सिंघल की याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद इससे संबंधित आदेश दिया है.
जानकारी के मुताबिक पूजा सिंघल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर आरोप पत्र (Prosecution Complain) के आधार पर PMLA कोर्ट द्वारा लिये गये संज्ञान को चुनौती दी थी. पूजा सिंघल की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र पर ट्रायल कोर्ट ने बिना अभियोजन स्वीकृति के ही संज्ञान लिया है. नियमानुसार इस मामले में सरकार से CRPC की धारा 197 के तहत अभियोजन स्वीकृति लेने के बाद ही ट्रायर कोर्ट संज्ञान लेने के बाद आगे की कार्रवाई कर सकता है. ईडी कोर्ट द्वारा मामले में बिना अभियोजन स्वीकृति के संज्ञान लेना कानूनन सही नहीं है. इसलिए न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप करे और PMLA कोर्ट द्वारा 19 जुलाई 2022 को लिये गये संज्ञान के आदेश को रद्द करे.
ईडी की ओर इस दलील का विरोध करते हुए कहा गया कि CRPC की धारा 197 के तहत सरकारी अधिकारियों के सुरक्षा देने के लिए अभियोजन स्वीकृति का प्रावधान किया गया है. इसका उद्देश्य सरकारी अधिकारी को सरकारी कामकाज के दौरान किसी के द्वारा गलत तरीके से फंसा कर परेशान करने से सुरक्षा देना है. CRPC के इस प्रावधान का इस्तेमाल किसी अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में सुरक्षा देने के लिए नहीं किया जा सकता है. पूजा सिंघल के मामले में जांच के दौरान बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का मामला पाया गया है. इसलिए मनी लाउंड्रिंग के आरोप के मामले में मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति की जरूरत नहीं है.
हाईकोर्ट ने पूजा सिंघल की याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद 13 अक्तूबर 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. न्यायालय ने 22 दिसंबर को अपना फैसला सुनाते हुए पूजा सिंघल की याचिका खारिज कर दी. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि CRPC की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति किसी भी वक्त ली जा सकती है. ट्रायल कोर्ट द्वारा बिना अभियोजन स्वीकृति के संज्ञान लेना कानून गलत नहीं है. इस तर्क के साथ न्यायालय ने पूजा सिंघल की याचिका खारिज कर दी.


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