हाईकोर्ट ने कहाः एक बार मिली जमानत तब तक रद्द नहीं हो सकती जब तक शर्तों का उल्लंघन न हो

Vinit Abha Upadhyay Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि अगर किसी अभियुक्त को एक बार जमानत दे दिया जाता है, उसकी जमानत तब तक रद्द नहीं की जा सकती जब तक कि वह जमानत की शर्तों का उल्लंघन न करे या निष्पक्ष सुनवाई में बाधा न डाले. दरअसल, जमशेदपुर सिविल कोर्ट ने दीक्षा कुमारी को एक आपराधिक मामले में आपसी समझौते के आधार पर जमानत दी थी. जिसके खिलाफ अमित कुमार ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल मिस्लीनियस पिटीशन दाखिल कर जमानत रद्द करने का आग्रह किया था. इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट में हुई. सुनवाई के दौरान अमित कुमार की ओर से यह बहस की गई की दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते की शर्तों का पालन करने में विफल रहा है. वहीं राज्य सरकार की ओर से यह दलील दी गई कि समझौते की शर्तों का पालन न करना जमानत रद्द करने का आधार नहीं बन सकता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने जमशेदपुर कोर्ट के द्वारा दीक्षा कुमारी को दी गई जमानत को रद्द करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. जमशेदपुर कोर्ट ने दीक्षा कुमार को वर्ष 2022 में जमानत दी थी. जमशेदपुर सिविल कोर्ट में लंबित मामला पारिवारिक विवाद से जुड़ा हुआ है.
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