Sunil Kumar
Latehar : हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड लातेहार में सिर्फ खनिज का दोहन कर रहा है. लगभग चार दशक से भी अधिक समय से बॉक्साइट का उत्खनन व परिवहन निर्बाध रूप से हिंडाल्को इंडस्ट्रीज द्वारा किया जा रहा है. जिले के सुदूरवर्ती महुआडांड़ एवं नेतरहाट के पाट इलाके में वर्षों से बॉक्साइट का उत्खनन और चंदवा साइडिंग से दूसरे राज्यों में परिवहन बेधड़क हो रहा है. हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा सिर्फ खनिजों का दोहन किए जाने और यहां किसी भी प्रकार की आधारभूत संरचना की स्थापना नहीं करने को लेकर वर्ष 2001 से 2005 तक विभिन्न संगठनों द्वारा लगातार आंदोलन किया जाता रहा है. उस आंदोलन का असर यह हुआ कि हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने लातेहार में एल्यूमीनियम एवं थर्मल पावर प्लांट लगाने की घोषणा की.
2005 में एल्यूमीनियम कारखाना लगाने के लिए एमओयू किया
वर्ष 2005 में आंदोलन से तंग आकर हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने एल्यूमीनियम कारखाना लगाने के लिए तत्कालीन झारखंड सरकार के साथ एमओयू किया. तत्कालीन इंडस्ट्री सेक्रेटरी एसके सत्पथी और हिंडाल्को के मैनेजिंग डायरेक्टर डी भट्टाचार्या के बीच 30 मार्च 2005 को एमओयू हुआ और इसे गजट में भी प्रकाशित कराया गया. हिंडाल्को इंडस्ट्रीज एवं सरकार ने घोषणा की कि लातेहार अंचल के 12 गांवों को मिलाकर एक सेक्टर बनाया जाएगा, जहां एल्यूमीनियम कारखाना स्थापित होगा. इसके लिए लातेहार अंचल के मनन चोटाग गांव में 670.28 एकड़, पतरिया चोटाग गांव में 617.66 एकड़, धनकारा गांव में 1085.58 एकड़ ,नवागढ़ गांव में 300.40 एकड़, कल्याणपुर गांव में 326.59 एकड़, ड्डरुआ गांव में 87. 55 एकड़, तुपुखुर्द गांव में 182 . 86 एकड़ नावाडीह गांव में 232.10 एकड़, तरवाडीह में 289.99 एकड़, माटखाड़ गांव में 15. 54 एकड़, हेसला में 399.11 एकड़ एवं सीसी गांव में 311.79 एकड़ भूमि उपलब्धता की सूचना लातेहार जिला प्रशासन ने सरकार को दी.
एल्यूमीनियम प्लांट व कैपटिव थर्मल पावर प्लांट लगाने की थी योजना
एमओयू के अनुसार लातेहार में एक एल्यूमीनियम प्लांट एवं एक कैप्टिव थर्मल पावर प्लांट लगाने की योजना थी. एल्यूमीनियम प्लांट की उत्पादन क्षमता 3,25,000 टन प्रति वर्ष तय की गयी थी और इसके लिए 4080 करोड़ रुपये लागत रखी गयी थी. जबकि कैप्टिव थर्मल पावर प्लांट एक यूनिट के लिए 3100 करोड़ रुपये लागत रखी गयी थी. कैप्टिव कोल माइंस के लिए 620 करोड़ रुपये और कुल 7800 करोड़ रुपये लागत का प्रारूप तैयार किया गया. हिंडाल्को द्वारा बताया गया कि यह प्लांट 30 वर्षों तक अनवरत चलेगा, जिसके लिए कोयले की व्यवस्था करनी होगी. सरकार ने हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को जिले की विशाल कोल ब्लॉक रजवार कोलपट्टी आवंटित कर दी, लेकिन कुछ दिनों बाद पानी की अनुपलब्धता बताकर एमओयू कैंसिल कर दिया गया और इस प्लांट को दूसरी जगह स्थापित करने की घोषणा हिंडाल्को इंडस्ट्रीज द्वारा की गयी. जब एमओयू लॉलीपॉप साबित हुआ तो लोगों ने काफी विरोध किया. यह बात सार्वजनिक हो गयी कि सिर्फ रजवार कोल ब्लॉक लेने के लिए हिंडाल्को ने एमओयू का प्रोपगेंडा किया था.
चकला कोल ब्लॉक हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को आवंटित
भारी विरोध के बाद हिंडालको ने कैप्टिव कोल माइंस स्थापित करने की घोषणा की, लेकिन आज तक इस दिशा में कुछ भी नहीं हुआ. पहले की तर्ज पर कंपनी ने अपनी ऊंची पहुंच और पैरवी के बल पर दोनों प्लांट को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया. लातेहार के लोगों को कुछ भी नहीं मिला. हिंडाल्को द्वारा यहां से खनिजों का दोहन किया जा रहा है. परिवहन से पूरे चंदवा प्रखंड में सिर्फ प्रदूषण ही प्रदूषण फैल रहा है. इसके लिए सांसद-विधायक कभी भी मुखर नहीं हुए. नतीजतन चालू वर्ष में हिंडाल्को ने पुनः चकला कोल ब्लॉक आवंटित कराने में सफल रहा. यह कोल ब्लॉक अभिजीत ग्रुप को आवंटित था. अब चकला कोल ब्लॉक हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को आवंटित हो चुका है. चकला कोल ब्लॉक से कोयला निकासी चालू करने के लिए तेजी से भूमि अधिग्रहण व रजिस्ट्रेशन का काम चल रहा है.
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