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बेटिंग एप, PMO को कंट्रोल करने वाले हिरेन जोशी व नवनीत सहगल का इस्तीफा

प्रधानमंत्री मोदी के लिए मीडिया मैनेजमेंट संभालने वाले हिरेन जोशी गायब बताये जा रहे हैं. वह प्रधानमंत्री कार्यालय में कम्युनिकेशंस और आईटी के ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) हैं. उनके बदले अब सारे काम मंत्री अश्विनी वैष्णव देखेंगे. करीब 20 सालों तक मोदी के साथ रहने वाले हीरेन जोशी का अलग होने की घटना को मिर्च-मसाले के साथ परोसा जा ही रहा था कि प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत सहगल का इस्तीफा सामने आ गया.

 

इससे पहले हिरेन जोशी के मित्र हितेश जैन से भी इस्तीफा लिया गया था. वह लॉ कमीशन में सदस्य थे. इन घटनाओं पर कोई आधिकारिक बयान नहीं है और सोशल मीडिया पर की जा रही टिप्पणियां बंटी हुई है. मेन स्ट्रीम मीडिया से खबरें गायब हैं.

 

पहले बात हिरेन जोशी की. उनपर मीडिया को दबाने और लोकतंत्र को कमजोर करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं. लेकिन पिछले दिनों कांग्रेस ने उनपर पीएमओ से निजी बिजनेस चलाने के आरोप लगाये. एक बेटिंग ऐप में उनकी हिस्सेदारी, दुबई में रहने वाले तिहारवाला से संबंध से लेकर अमेरिका समेत कई विदेशी यात्राओं के दौरान संदिग्ध में बैठकों में शामिल होने के आरोप लगे हैं. 

 

बेटिंग ऐप के बारे में बताया जा रहा है कि दुबई से संचालित यह ऐप ऑनलाइन सट्टेबाजी पिछले 4 साल में 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार कर चुकी है. जांच में खुलासा हुआ कि इसके मालिक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने छत्तीसगढ़ से लेकर गोवा-दुबई तक नेताओं, पुलिस वालों और बड़े अफसरों को हवाला के जरिए पैसे बांटे. प्रमोशन के लिए बॉलीवुड सेलेब्स की शादियां तक स्पॉंसर की. अब जांच की आंच दिल्ली तक पहुंच गई है.

 

हितेश जैन (लॉ कमीशन मेंबर) के बारे में बताया जा रहा है कि अप्रैल 2025 में उनकी नियुक्ति हुई थी. वह हिरेन जोशी के कथित करीबी थे. सोशल मीडिया पर आरोप लगाया जा रहा है कि लॉ कमीशन के जरिए बेटिंग कानूनों में ढील दिलाने की कोशिश उन्होंने की. अक्टूबर में उनसे इस्तीफा लिया गया. एक दिन के भीतर उनसे आवंटित बंगला भी खाली कराया गया.


अब बात नवनीत सहगल की. उन्होंने अचानक से इस्तीफा दिया. वह रिटायर आइएएस अधिकारी हैं. यह वही नवनीत सहगल हैं, जिन्होंने पत्रकार सुधीर चौधरी को 15 करोड़ रुपये सालाना के पैकेज पर एक प्रोग्राम के लिए हायर किया था. इसे लेकर बड़ा विवाद हुआ था और सवाल उठे थे. 

 

नवनीत सहगल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते थे. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भी करीबी थे, इसलिए लोग उन्हें "हर मौसम का अफसर" भी कहा करते थे. मीडिया मैनेजमेंट और पब्लिक कम्युनिकेशन के विशेषज्ञ माने जाते हैं. 

 

नवनीत सहगल के इस्तीफे को पीएमओ के ओएसडी हिरेन जोशी को हटाये जाने की घटना से जोड़ करके देखा जा रहा है. सोशल मीडिया पर इसे सफाई अभियान का एक हिस्सा बताया जा रहा है. तो कुछ लोग इसे पीएम मोदी के लिए बड़ा झटका बता रहे हैं और दावा किया जा रहा है कि दिल्ली में कुछ बड़ा होने वाला है. 

 

तो कुछ लोग इन घटनाओं को करीबी लोगों को हटाकर, इस्तीफा दिलवाकर बड़े पेड़ की साख को बचाने की तैयारी बता रहे हैं. आने वाले दिनों में यह पूरा मामला मोदी सरकार के लिए दिक्कतें पैदा कर सकती हैं.

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