Ranchi : कोविड महामारी थमने का नाम नहीं ले रहा है. एचईसी आवासीय परिसर में भी कोविड संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कंपनी में काम करने वाले स्थाई व अस्थाई श्रमिकों में कई के संक्रमित होने की सूचना है. एचईसी प्रबंधन संक्रमण पर काबू पाने के लिए हेडक्वाटर सहित कार्यशालाओं को सेनेटाइज करा रहा है. कोविड संक्रमण की वजह से एचईसी को मिले कई महत्वपूर्ण उपकरण समय पर तैयार नहीं हो पाएंगे.
एचईसी को नौ सेना से वर्ष 2020 में हाईटेक पनडुब्बी बनाने का काम मिलता था. यह काम तकरीबन 350 करोड़ का है. एचईसी को भारतीय नौ सेना से जैसे ही पनडुब्बी बनाने का वर्क ऑर्डर मिला, वैसे ही कोरोना संक्रमण फैलने लगा. देशभर में लॉकडाउन लग गया. कोविड महामारी की वजह से एचईसी कंपनी में उत्पादन प्रभावित हो गया था. जिस वजह से बीते वर्ष पनडुब्बी का काम समय पर पूरा नहीं हो सका. अभी एचईसी ने पनडुब्बी निर्माण में तेजी लायी थी. तभी कोविड महामारी की वजह से एक बार फिर उत्पादन प्रभावित हो गया.
एचईसी बनाएगा हाईटेक स्वदेशी पनडुब्बी
हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड, एचईसी ने चंद्रयान-2 का लॉन्चिंग पैड के साथ ही सेना के लिए टैंक बैरल व अन्य उपकरण बनाकर देश को मजबूती प्रदान करता रहा है. इस क्रम में अब भारतीय नौसेना की तरफ से एचईसी को हाईटेक पनडुब्बी निर्माण का काम सौंपा गया है. आईएनएस अरिहंत को छोड़कर भारत अब तक पनडुब्बी निर्माण के लिए रूस पर आश्रित रहा है. लेकिन अब भारतीय नौसेना ने एचईसी की काबिलियत को देखते हुए स्वदेशी तकनीक पर आधारित हाईटेक पनडुब्बी बनाने का काम सौंपा.
पनडुब्बी के लिए तैयार किया विशेष स्टील
एचईसी ने भारत की सामरिक शक्ति को और समृद्ध बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र और नौसेना के उपकरणों के निर्माण के लिए दो विशेष प्रकार के स्टील विकसित किए हैं. यह हाई इंपैक्ट स्टील (डीएमआरएल) है. खासियत यह है कि परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के दौरान इसकी क्षमता काफी अधिक ताप सहने की है. इसी विशेष स्टील का उपयोग पनडुब्बी के कई हिस्सों में होगा. पानी में सालों रहने के बावजूद इसमें जंग नहीं लगेगा. इस स्टील का स्ट्रेंथ सामान्य स्टील की तुलना में कई गुना ज्यादा है. कंपनी ने नौसेना के युद्धपोत के इंजन और अन्य महत्वपूर्ण उपकरण बनाने की योजना बनायी है. पहले इस स्टील का आयात होता था.