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होली रंगों की बहार, दिल के खिलने का त्यौहार- वीना श्रीवास्तव

Veena Srivastava  पति रूठा जो रहता है, ज्वाला सा भड़कता है कर लो थोड़ा सा मनुहार, दिल के खिलने का त्यौहार सासू जी जो रूठी हैं ससुर जी भी कुछ ऐठें हैं ननदिया को भेजो इक हार, दिल के खिलने का त्यौहार इधर टोपी जो रुसवा है उधर टीका भी है घायल गिरा दो नफरत की दीवार, दिल के खिलने का त्यौहार ना होली के बहाने फिर कोई लड़की कहीं उजड़े बचा लो आंचल का हर तार, दिल के खिलने का त्यौहार जिनके जीवन में छाई उदासी और वीरानी है उनका रंग दो तुम संसार, दिल के खिलने का त्यौहार वो कब तक यूं ही रूठेगा बचेगा तीरे खंजर से करो तुम दो नैनों से वार, दिल के खिलने का त्यौहार हमारे रंग में तुम डूबे तुम्हारा रंग चढ़ा हम पर दो दिल मिलने को तैयार, दिल के खिलने का त्यौहार जो रिश्तों में कोई दूरी है मिलने की मजबूरी है कर दो रंगों की बौछार, दिल के खिलने का त्यौहार डिस्क्लेमर: लेखिक राइटर हैं, ये इनके निजी विचार हैं.

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