Lagatardesk : फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन का त्यौहार मनाया जाता है. इस बार होलिका दहन 13 को मनाया जायेगा. पंचांग के अनुसार, होलिका दहन 13 मार्च की रात्रि 10:45 के बाद होगा.
आचार्य निशिकांत पाठक ने बताया कि पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को 10: 35 मिनट से शुरू होगा, जो 14 मार्च को दोपहर 11 बजकर 11 मिनट तक रहेगी.
इस बार होली पर भद्रा का साया रहेगा, क्योंकि पूर्णिमा के साथ ही 13 मार्च की सुबह 10.36 भद्रा प्राारंभ हो जाएगी, जो रात्रि 10:40 बजे तक रहेगी. शास्त्रों के अनुसार, होलिका दहन कभी भी भद्रा काल में नहीं करना चाहिए. इसलिए होलिका दहन 13 मार्च की रात्रि 10:45 से 12.0 बजे तक कर सकेंगे.
होलिका की राख से करें ये उपाय, बनेंगे बिगड़े काम
होलिका दहन की राख का काफी महत्व होता है. होलिका की राख से कुछ खास उपाय करने पर मां लक्ष्मी आप पर मेहरबान रहती हैं.
आचार्य निशिकांत पाठक ने होलिका की राख के महत्व के बारे में बताया कि अगर आप के घर की सुख-शांति भंग हो गयी है, परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव है तो होलिका दहन के अगले दिन प्रात: काल थोड़ी सी राख को घर के हर कोने में छिड़क दें.
ये उपाय सुबह ही करें, ताकि कोई देखे ना. मान्यता है कि इससे गृहक्लेश दूर होते हैं और आपसी सामंजस भी बना रहता है.
परिवार को बुरी शक्तियों से बचाता है होलिका राख
परिवार को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए होलिका दहन की राख बड़े काम की मानी जाती है. होलिका दहन के अगले दिन सुबह ये राख घर लाये. इसमें नमक और राई मिलाकर घर में गुप्त स्थान पर रख दें.
अगर किसी को नजर दोष है तो उसके सिर से सात बार होलिका राख उतारकर चौराहे पर फेंक दें. अगर आप राहु-केतु की पीड़ा से परेशान हैं या फिर शनि की महादशा के कारण आपके बने हुए काम बिगड़ जा रहे हैं तो एक मुठ्ठी होलिका की राख को शिवलिंग पर चढ़ायें. इससे आपके बिगड़े काम बनेंगे.
ऐसा कहते हैं कि होलिका की राख को शिवलिंग पर चढ़ाने से वैवाहिक जीवन भी खुशहाल रहता है. साथ ही व्यापार और नौकरी में आ रही बाधाएं दूर होती हैं.
होलिका दहन का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, होलिका दहन का पौराणिक और धार्मिक महत्व दोनों ही है. क्योंकि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है. इस दिन होलिका दहन की विधिवत पूजा की जाती है और अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. होलिका दहन में अग्नि देवता को धन्यवाद देते हैं. साथ ही बसंत ऋतु का स्वागत करते हैं.
होलिका दहन की पूजा विधि
होलिका की पूजा से पहले भगवान नरसिंह और प्रहलाद का ध्यान करें. इसके बाद होलिका में फूल, माला, अक्षत, चंदन, साबुत हल्दी, गुलाल, पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां आदि चढ़ा दें. इसके साथ ही भोग लगा दें. फिर कच्चा सूत लपेटते हुए होलिका के चारों ओर परिवार के साथ मिलकर परिक्रमा कर लें.
इसके बाद होलिका में जल का अर्घ्य दें और सुख-समृद्धि की कामना करें. फिर सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका दहन करें. होलिका दहन के समय अग्नि में कंडे, उबटन, गेहूं की बाली, गन्ना, चावल आदि अर्पित करें.
इसके साथ ही होलिका दहन के अगले दिन होलिका दहन की राख माथे में लगाने के साथ पूरे शरीर में लगाएं. ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष से छुटकारा मिलेगा.
होलिका दहन के दिन भूलकर भी ना करें ऐसी गलतियां
होलिका दहन पर कुछ चीजों का खास ख्याल जरूरी होता है. इस दिन कुछ गलतियां भूलकर भी नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में कई तरह ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
नवविवाहित महिलाओं को होलिका जलते नहीं देखना चाहिए
होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है. इसलिए नवविवाहित महिलाओं को होलिका जलते हुए नहीं देखनी चाहिए. ऐसी मान्यात है कि नवविवाहित अगर होलिका जलते देखती है तो उसके वैवाहिक जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
किसी को उधार देने से घर में नहीं होती बरकत
होलिका दहन के दिन किसी को पैसा उधार नहीं देना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती है. ऐसा करने से आर्थिक समस्याएं भी बढ़ती हैं. इस दिन उधार लेने से भी बचना चाहिए.
इकलौती संतान को नहीं जलानी चाहिए होलिका की अग्नि
माता-पिता की इकलौती संतान को होलिका दहन की अग्नि को प्रज्जवलित करने से बचना चाहिए. यह अशुभ माना जाता है. एक भाई और एक बहन होने पर होलिका की अग्नि को प्रज्जवलित किया जा सकता है.
पीपल, बरगद और आम की लकड़ी ना जलाये
होलिका दहन के लिए पीपल, बरगद या आम की लकड़ियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. यह पेड़ दैवीय और पूजनीय पेड़ हैं. इस मौसम में इन वृक्षों पर नई कोपलें आती हैं. ऐसे में इन्हें जलाने से नकारात्मकता फैलती है. होलिका दहन के लिए गूलर या अरंड के पेड़ की लकड़ी या उपलों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
होलिका के दिन मां का जरूर लें आशीर्वाद
होलिका दहन के दिन मां से जरूर आशीर्वाद लेना चाहिए. उन्हें कोई गिफ्ट भी देना चाहिए. ऐसा करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं. ऐसा करने से भगवान की कृपा आप पर बनी रहती है. इस दिन भूलकर भी किसी महिला का अपमान नहीं करना चाहिए