Soumitra Roy
तीन दो दिन पहले, यानी शुक्रवार को प्रधानमंत्री, यानी देश के “सिस्टम” के सामने नीति आयोग के सदस्य और स्वास्थ्य इमरजेंसी प्लान पैनल के अध्यक्ष वीके पॉल ने एक प्रेजेंटेशन दिया. उसमें कहा गया कि मई के मध्य में रोज़ 5 लाख कोविड मरीज़ सामने आएंगे. तब देश और भी महाविनाशकारी नज़ारे देख रहा होगा.
अब आगे करना क्या है? प्रेजेंटेशन में सरकार को कोविड चेन तोड़ने, उदार टीकाकरण नीति बनाने और ऑक्सीजन समेत दवाओं और साधनों को जुटाने की सलाह दी गई. फिर कल, यानी कि 25 अप्रैल को यह हुआ कि भारत बॉयोटेक ने कोवैक्सीन के दाम बढ़ा दिए. पॉल ने देश के 10 राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली का भी आईना दिखाया. इनमें गुजरात भी शामिल है.
पॉल ने “सिस्टम” को जुलाई तक तबाही के लिए तैयार रहने को कहा है. यह वही “सिस्टम” है, जिसने 21 दिन में कोविड की लड़ाई जीतने का जुमला फेंका था. और पॉल भी उसी “सिस्टम” का हिस्सा हैं, जिन्होंने कोविड की पहली लहर के दौरान देश को फ़र्ज़ी आंकड़ों के सहारे बरगलाया था. अब यही सिस्टम बता रहा है कि भारत में कुल 81 हज़ार ICU बेड हैं, जो 5 लाख मरीजों को नहीं झेल सकते. बाकी आंकड़े वही हैं, जो लंबे समय से लिखा जा रहा है.
अब सोचिए, इस बेशर्म, नालायक व अक्षम “सिस्टम” ने क्या कहा होगा? यही कि मरने दो लोगों को! हम भक्तों को मैनेज कर लेंगे. चुनाव तो हम ही जीतेंगे ! दरअसल, “सिस्टम” इस देश की अवाम की धर्मान्धता और मूर्खता को जानता है. वह अच्छी तरह जानता है कि लोगों को शिक्षित, सुविधा संपन्न बनाने से लोग बीजेपी जैसी पार्टी को वोट नहीं देंगे.
ग़लती “सिस्टम” की नहीं आपकी है, जो इसे साल-दर-साल झेल रहे हैं. और अब मौत का मातम मनाने को मजबूर हैं.
डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.

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