Faisal Anurag "The president is unfit to remain in office for the next 14 days. Every second he remains the vast powers of the presidency is threat to public order and national security." ‘‘राष्ट्रपति अगले 14 दिनों तक अपने पद पर बने रहने के लिए अयोग्य हैं. राष्ट्रपति पद की विशाल शक्तियां, सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हर लमहा खतरा बना हुआ है. द">https://www.washingtonpost.com/">द
वाशिंगटन पोस्ट में यह बेबाक टिप्प्णी दिनदहाड़े लोकतंत्र की हत्या के प्रयास में ट्रंप के उकसावे को नजर में रखते हुए की गयी है. अब तक चार लोगों की मौत बताती है कि कैपिटल बिल्डिंग पर जो हमला हुआ. वो सारी दुनिया के लिए एक दुःस्वप्न है. द">https://www.washingtonpost.com/">द
वाशिंगटन पोस्ट ने अपने मास्ट के ठीक नीचे लिखा है, डेमोक्रेसी डाइज इन डार्कनेस. इस दौर में अनेक देशों के चुने गये नेताओं ने अंधसमर्थकों की भीड़ को अपनी ताकत बना लिया है. इस भीड़ ने विवेक और सोचने की पूरी सलाहियत अपने नेताओं को समर्पित कर दिया है. इस भीड़ ने न केवल लोकतंत्र बल्कि संविधान और कानून - व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर दिया है. जिस तरह असहमत नेताओं को देशद्रोही बताने का प्रचलन है, उसी की एक बानगी इवंका ट्रंप ने पेश किया है. भारत सहित अनेक देशों में यह प्रवृति प्रचलन में हैं. किसानों के प्रतिरोध को भारत में देशद्रोह बताया जा रहा है. इवांका ने हिंसा करने वालों को देशभक्त बता दिया. डोनाल्ड">https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%89%E0%A4%A8%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A1_%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA">डोनाल्ड
ट्रंप की बेटी इवांका">https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA">इवांका
ट्रंप ने बाद में अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया. इवांका पिछले चार सालों से अमरीका में अहम बनी हुई है. लेकिन इससे फर्क तो नहीं पड़ता है. उनकी वही मंशा उजागर हुई, जो पिछले चार सालों से अमरीका के लोकतंत्र के लिए खतरा बना हुआ है. जॉर्जिया में हुए सीनेटरों के दो सीटों के नतीजों ने ट्रंप से मुक्ति की जनता की छटपटाहट को ही व्यक्त किया है. इन सीटों के ब्रिटेन की पार्टी उमक्रेटों ने जीत कर सीनेट में भी बहुमत पा लिया है. बावजूद इसके ट्रंप ने अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग पर हमले के लिए उकसाया. उनके भाषण के बाद ही समर्थकों ने केपिटल बिल्डिंग पर धावा बोला. अमेरिका के ट्रंप के सहयोगी उपराष्ट्रपति पेंस और अनेक रिपब्लिकन सांसदों ने भी इस मामले में ट्रंप की आलोचना की है. 2020 के नवंबर के चुनावों में हारने के बाद से ही ट्रंप परिणामों को बदलवाने के लिए दबाव बना रहे हैं. अभी वे ह्वाइट हाउस में अगले 14 दिन बने रहेंगे, इसलिए आने वाले दिनों में लोकतंत्र का यह काला दिन दोहराए जाने का अंदेशा बना ही रहेगा. अमेरिका जैसे लांकतंत्र के लिए ऐसा पहली बार हुआ है. लेकिन इतिहास साक्षी है कि अमेरिका के नेताओं ने अतीत में कई तानाशाहों के सत्ता हाइजेक का समर्थन किया है. ट्रंप के ही दौर में बोलेविया इसका उदाहरण है जहां इवो मारोलेस की चुनी गयी सरकार को अपदस्थ कर जनता के वोटों का निरादर किया गया. हाल ही में हुए चुनाव में अमेरिका विरोधी मारोलेस की पार्टी पुनः चुनाव में विजयी हुई. अमरीकी नेता संविधान की दुहाई दे रहे हैं. लेकिन पिछले चार सालों में जिस तरह ट्रंप को निरंकुश होने दिया गया उसकी जबावदेही से बच नहीं सकते. इन चार सालों में अमरीकी संविधान के विपरीत कार्य किए गए. ट्रंप ने न केवल मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला किया बल्कि अपने विरोधियों की देशभक्ति पर भी सवाल उठाए. अमेरिका महसूस कर रहा है कि वह सनक के ऐसे दौर के लिए तैयार नहीं रहा है. जब कि सनक के हालात 2016 में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के साथ ही बनने लगा था. ट्रंप के अनेक सनकी फैसलों ने दुनिया की स्थिरता और शांति पर भी खतरा पैदा किया. पर्यावरण के वैश्विक मंच से अलग होने के फैसलों को विस्मृत नहीं किया जा सकता है. आमतौर पर अमेरिकी चुनावों की स्वतंत्रता बनी रही है. अनेक प्रभावशाही राष्ट्रपतियों को दूसरा कार्यकाल जनता ने नहीं दिया है. इसमें जॉनसन, फोर्ड, जार्ज डब्लू एच बुश जैसे राष्ट्रपति शामिल हैं. लेकिन ट्रंप ने अपनी हार के सवाल को अमरीकी अस्मिता और शक्ति से जोड़ने का असफल प्रयास किया. ऐसा करने वाले वे पहले ही व्यक्ति हैं. अमेरिका में पहली बार ट्रंप ने अंधसमर्थकों की फौज बनाया है. इन अंधसमर्थकों के लिए ट्रंप न केवल संदेह से परे हैं बल्कि उनका विरोध अमरीका का विरोध है. किसी भी लोकतंत्र के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता है. सारी दुनिया के नेताओं ने अमेरिकी">https://www.bbc.com/hindi/international-55570929">अमेरिकी
हिंसा पर चिंता व्यक्त किया है. हिंसा जब राज्य के प्रमुख के द्वारा ही प्रायोजित किए जाने की शुरूआंत अमरीका के लिए चिंता का सबब है.

ट्रंप का दिनदहाड़े लोकतंत्र की हत्या का प्रयास कितना सही?
