: शिक्षक बहाली प्रक्रिया में शिक्षा विभाग झारखंड सरकार की अधिसूचना लागू कराने की मांग
गंभीर नहीं दिख रहा संबंधित विभाग
आदिवासी किसानों के उत्थान को लेकर विभाग कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अब तक इस प्रोजेक्ट का 963 करोड़ रूपए आवंटित नहीं हो सका है. विभागीय अफसरों से मिली जानकारी के अनुसार इसकी संचिका कैबिनेट में जा चुकी थी. मगर ऐन वक्त पर इसे वापस ले लिया गया. कुछ इनक्वाईरी के साथ अब भी मंत्री सेल में पड़ा हुआ है. जानकारी के अनुसार संचिका अबतक मंत्री सेल आप्त सचिव स्तर पर लटकी हुई है. यह संचिका मंत्री तक पहुंची ही नहीं है. इसके कारण महती योजना का काम लटका पड़ा है. रबी फसल का मौसम अब समाप्त हो चुका है. अब खरीफ फसलों की बुआई का समय निकट आ गया है. ऐसे में अगर समय पर पैसे का आवंटन नहीं हुआ तो खरीफ फसलों की खेती पर भी संकट आएगी.alt="" width="650" height="332" />
110 प्रखंडों को किया जाना है कवर
इससे पहले जेटीडीसी 14 ट्राइबल जिलों के 32 प्रखंडों को कवर करता था. कुल 2.50 लाख हाऊस होल्ड को कवर किया गया था. इसके लिए 280 करोड़ रूपए खर्च किए गए थे. अब इसकी संख्या मंत्री के निर्देश के बाद बढ़ाया गया है. अब 14 ट्राइबल जिलों के कुल 110 प्रखंडों और कुल 60 लाख लाभुकों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. इसका बजट बढ़कर 963 करोड़ रूपए हो गया, लेकिन अबतक आवंटन नहीं हो पाया. इसे भी पढ़ें –धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-low-pressure-formed-in-the-bay-of-bengal-heavy-rain/">धनबाद: बंगाल की खाड़ी में बना निम्न दबाव, हुई झमाझम बारिश
मौसम और क्लाईमेट बेस्ड खेती करवाता है जेटीडीएस
आदिवासी कल्याण विभाग की संस्था जेटीडीएस ट्राइबल जिलों में मौसम और क्लाईमेट बेस्ड खेती करवाता है. सुखाड़ में डीएसआर (डायरेक्ट सीड्स राइज) टेक्नोलॉजी से खेती करवाता है, इस पद्धति से कम पानी में भी धान आदि की खेती होती है और किसानों को अच्छा मुनाफा हो जाता है. यह एक ऐसा धान का बीज है जो कम पानी में उन्नत किस्म का धान उत्पादित करता है. न केवल धान बल्कि इस विधि से बरसाती सब्जी का भी उत्पादन होता है.कई किस्म के होते हैं बुना धान
जेटीडीएस जो बुना धान का बीज तैयार करवा रहा है, उसके कई किस्म हैं. जिसमें आईआर-64, डीआरटी-1, डीआरआर-44 एवं एमटीवी-1010 शामिल हैं. इन बीजों से जो धान की खेती की जा रही है, वह न केवल कम पानी में होता बल्कि उन्नत किस्म के धान इससे होते हैँ. सामान्यत: इसकी खेती दोन-2 प्रकार की जमीन में आसानी हो जाती है. टांड जमीन में इस बीज से खेती हो सकती है.alt="" width="600" height="350" />
इस विधि से ठंड के दिनों में साग-सब्जी की खेती
इससे न केवल धान बल्कि खरीफ फसलों के अतिरिक्त रबी फसलों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. खरीफ के मौसम में बरसाती साग-सब्जी के साथ-साथ रबी के मौसम में साग-सब्जी, तरबूज की भी खेती शुरू की गई है. विभिन्न प्रशिक्षण के माध्यमों से जेटीडीएस द्वारा लाभुकों की क्षमता विकसित की गई है. बीते गर्मी के मौसम में भी लाभुकों द्वारा सब्जी की खेती की गयी. इसका उत्पादन आय का एक अच्छा माध्यम है. लाभुकों को विभिन्न सिंचाई स्त्रोतों जैसे कुआं, चुआं, डोभा, तालाब आदि उपलब्ध कराए गए हैं. इसका उपयोग कर लोग अपनी जमीन पर सालों भर खेती कर रहे हैँ. इसे भी पढ़ें –बेगूसराय">https://lagatar.in/after-begusarai-students-clashed-with-each-other-in-hajipur-and-lakhisarai-as-well-in-patna/">बेगूसरायके बाद हाजीपुर और लखीसराय में भी ठांय-ठांय, पटना में आपस में भिड़े छात्र