Chaibasa : कोल्हान विश्वविद्यालय के नाम पर लगभग 80 एकड़ जमीन की स्वीकृति मिलने के बाद बीते सोमवार को सीमांकन कराने गए पदाधिकारियों को ग्रामीणों ने बैरंग लौटा दिया था. अब यह विरोध तेज होता दिख रहा है. बुधवार को लगभग सात गांव के सैकड़ों ग्रामीण पांड्राशाली ग्रामीण मुंडा सुखलाल पूरती के नेतृत्व में खूंटपानी सीओ कार्यालय पहुंचे. उन्होंने सीओ को मांग पत्र सौंपा. इस दौरान काफी देर तक विरोध प्रदर्शन भी किया गया.
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आदिवासियों का रोजगार भी, पूजा स्थल भी
सैकड़ों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने मांग की कि किसी भी हाल में कोल्हान विवि के नाम जमीन न की जाए. इस क्षेत्र में आदिवासियों का रोजगार भी है. ग्रामीणों ने कहा कि इस क्षेत्र में आदिवासियों की पारंपरिक रीति रिवाज के साथ पूजा अर्चना होती है. यह मामला खूंटपानी प्रखंड के पांड्राशाली के बुरूईगुटू गांव का है. खूंटपानी अंचल अधिकारी रवि कुमार आनंद को मांग पत्र दिया गया. इस दौरान ग्रामीण मुंडा रवींद्र बानरा, जयसिंह समेत काफी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए.
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सीओ को ज्ञापन सौंपते पांड्राशाली ग्रामीण मुंडा सुखलाल पूरती.
ग्रामीणों का दावा-26 लाभुक के नाम जमीन बंदोबस्ती
ग्रामीणों ने कहा कि इस प्लॉट में 26 लाभुक को 1988-89 में बिहार सरकार के विशेष अभियान के तहत बंदोबस्ती प्राप्त है. इस क्षेत्र में एकमात्र स्थल है जहां आदिवासियों की परंपरा से जुड़ा साल वृक्ष है, जिसका बाह पर्व में उसके फुल, पत्ता का उपयोग होता है. साल, सोसो, केंदू का वृक्ष इस स्थल पर भरा हुआ है. यादि कोल्हान विवि के नाम यह जमीन हो जायेगी तो सभी वृक्षों को कटवा दिया जायेगा. जिससे पर्यावरण भी दूषित होगा. ग्रामीणों ने कहा कि आदिवासी परंपरा के तहत इस प्लॉट में आराधना होती है, देशऊली स्थल भी माना जाता है. यहां वृक्ष चंदा की राशि से लगाई गई है. ग्रामीणें की कड़ी मेहनत के बाद इस क्षेत्र में वृक्ष लहलहा रहे हैं.