Ranchi : आउटसोर्सिंग के विरोध में वन विभाग में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मी प्रधान मुख्य वन संरक्षक झारखंड के कार्यालय के समक्ष भूख हड़ताल पर बैठे हैं. बुधवार को भी इनका आंदोलन जारी रहा. मालूम हो कि वन विभाग के आदेश के अनुसार, छह अप्रैल को एक निजी कंपनी को कर्मियों की आपूर्ति के लिए चयन किया गया है. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में वर्षों से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी से भी अब इसी कंपनी के माध्यम से सेवा लेने का निर्णय लिया गया है. इसके विरोध में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी आदोलन कर रहे हैं.
आउटसोर्सिंग के माध्यम से विभाग मे रखे जा रहे दैनिक वेतनभोगी कर्मी
झारखंड सरकार के अंतर्गत वर्षों से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी चालक, कंप्यूटर ऑपरेटर, डाटा इंट्री ऑपरेटर के स्थान पर अब विभाग ने आउटसोर्सिंग कंपनी के माध्यम से कर्मचारी रखकर सेवा लेने की प्रक्रिया शुरू की है. इसके लिए विभाग ने अप्रैल माह में मेसर्स प्रोटेक्शन फोर्स प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया है. विभाग में पहले से कार्यरत दैनिक भेतनभोगी इसका विरोध कर रहे हैं.
मांगों को लेकर लंबे समय से कर रहे आंदोलन
इससे पूर्व 12 और 13 अप्रैल को राज्य मुख्यालय के समक्ष दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर धरना पर बैठे थे. उस समय क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक मौजूद नहीं थे. इसके चलते वार्ता नहीं हो सकी. कर्मचारियों का धरना 25 अप्रैल 2022 तक जारी रहा. लेकिन विभाग द्वारा आउटसोर्सिंग रद्द करने की कोई कार्यवाही नहीं की गई. इस कारण बाध्य होकर दैनिक वेतनभोगी कर्मी 26 अप्रैल से प्रधान वन संरक्षक कार्यालय के मुख्य द्वार पर भूख हड़ताल पर बैठे हैं. इस बीच कंप्यूटर ऑपरेटर संघ के दीपक कुमार पाठक ने कहा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल एवं अनशन की अवधि में किसी भी दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के साथ कोई अप्रिय घटना घटती है, तो इसकी पूरी जवाबदेही सरकार एवं विभाग की होगी.
इसे भी पढ़ें – बेबस हैं होटल अशोका के कर्मचारी, जान देने की आ गयी नौबत, देखें वीडियो
[wpse_comments_template]