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घूसखोर दारोगा का पति रहता है रांची में, सब्जी बेचता है भागलपुर में

  • घर का खर्च मीरा सिंह के बदले उसका पति प्रीतम कुमार उठाता है.
  • दुकान का किराया 5000 रुपये प्रति माह है.
  • दारोगा का पति किसी किसान का नाम नहीं जानता.
  • साली मृदुला वर्मा से 34 लाख रुपये कर्ज लेने की बात.

Ranchi : प्रवर्तन निदेशालय (ED )के चक्कर में फंसी दारोगा मीरा सिंह का पति रांची में रहता है. लेकिन सब्जी भागलपुर मंडी में बेचता है. वह भागलपुर में दुकान का किराया तो देता है. लेकिन दुकान के मालिक का नाम नहीं जानता है. किसानों से थोक में सब्जी खरीदता है. लेकिन उनमें से किसी भी किसान का नाम नहीं जानता, जिससे वह सब्जियां खरीदता है. सिर्फ इतना ही नहीं उसने अपनी साली से 34 लाख रुपये कर्ज भी लिया है. साथ ही उसके बैंक खाते में भारी नकदी जमा है. घूसखोरी के आरोप में फंसी दारोगा मीरा सिंह के मामले में जारी ईडी जांच के दौरान इन तथ्यों की जानकारी मिली है.

 

ईडी ने मीरा सिंह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच में पाया है कि उसके घर का मासिक नियमित खर्च 25-30 हजार रुपये हैं. लेकिन घर का खर्च मीरा सिंह के बदले उसका पति प्रीतम कुमार उठाता है. घरेलू खर्चे के सिलसिले में दारोगा द्वारा दी गयी जानकारी के बाद ईडी ने उसके पति से पूछताछ की. इसमें उसने खुद को सब्जी का थोक व्यापारी बताया. 

 

सब्जी की दुकान के सिलसिले में पूछे जाने पर उसने बताया कि उसकी सब्जी की दुकान भागलपुर जिले से सुल्तानपुर सब्जी मंडी में है. दुकान उसकी अपनी नहीं है. उसने सब्जी के थोक व्यापार के लिए यह दुकान किराये में ली है. दुकान का किराया 5000 रुपये प्रति माह है. वह दुकान के मालिक को किराया नकद दिया करता है. पत्नी की काली कमाई को छिपाने के लिए खुद को सब्जी का व्यापारी बताने के बाद ईडी ने उससे दुकान का रजिस्ट्रेशन, किराये पर दुकान लेने का Agreement और भुगतान किये गये किराये की रसीद मांगी. लेकिन वह सब्जी व्यापारी होने के अपने दावे के पक्ष में कोई दस्तावेज नहीं पेश कर सका. यहां तक की वह यह भी नहीं बता पाया कि उसने किस व्यक्ति से किराये पर दुकान ली है. उसे दुकान मालिक का नाम नहीं पता. 

 

सब्जी व्यापारी होने के दावों की पुष्टि के लिए ईडी ने उससे उन किसानों में से किसी एक का नाम जानना चाहा जिससे यह वह नियमित रूप से सब्जी खरीदता है. लेकिन वह किसी किसान का नाम नहीं बता सका. वह सब्जी बिक्री से मिले रूपयों के हिसाब-किताब से संबंधित दस्तावेज भी नहीं दे सका. सब्जी के खाता-बही के सिलसिले में पूछे जाने पर उसने कहा कि वह Rough Sheets पर रोज की बिक्री का हिसाब लिखता है. लेकिन वह भी उसके पास नहीं है.

 

जांच के दौरान प्रीतम के बैंक खातों में भारी नकद राशि होने की जानकारी मिली थी. इस सिलसिले में पूछे जाने पर उसने अपनी साली मृदुला वर्मा से 34 लाख रुपये कर्ज लेने की बात कही. उसकी साली ने यह कर्ज बगैर सूद (Interest free loan) के दी थी. उसने साली से कर्ज के रूप में मिली पूरी रकम भागलपुर में बिल्डिंग बनाने के खर्च के लिए निकालने की बात कही. उसके दूसरे खातों में किसने नकद राशि जमा की थी, उसे नकद जमा करने वालों की जानकारी नहीं है. प्रीतम से लंबी पूछताछ, जवाब और दस्तावेज की समीक्षा के बाद ईडी ने यह नतीजा निकाला कि उसने सब्जी बेचने के लेकर बाकी सारी कहानियां पत्नी की काली कमाई को छिपाने के लिए गढ़ी है.

 

दारोगा के पति के खाते में जमा नकद का ब्योरा

बैंक/खाता राशि अवधि
HDFC/ 501****835  1.35 लाख  13 दिन में
HDFC/ 502***633  22.09 लाख  15 महीना
HDFC/501****947  68.00 हजार  3 महीना
PNB/060*****265  6.75 लाख  5 साल 9 महीना

 

 

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