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पलाश पर IAS डॉ मनीष रंजन की केस स्टडी को ADBI ने किया प्रकाशित, मैनेजमेंट कोर्स में शामिल

डॉ मनीष रंजन

Lagatar Desk

Ranchi : एशियन डेवलपमेंट बैंक इंस्टीट्यूट (ADBI) ने झारखंड कैडर के आइएएस अधिकारी डॉ मनीष रंजन द्वारा लिखे गए केस स्टडी "पलाश" को अपने इंटरनेशनल वेब साइट पर प्रमुखता से प्रकाशित कर दुनिया भर के इंस्टीट्यूट और विश्वविद्यालयों के लिए उपलब्ध कराया है. एडीबीआई ने इसे भारत-केंद्रित शिक्षण केस “पलाश: ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने के लिए बाजार बनाकर कमोडिटी से ब्रांड तक” नाम से प्रकाशित किया है.

 

लेखक डॉ मनीष रंजन ने इसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ग्रामीण महिलाओं की आजीविका में सुधार लाने की निरंतर कोशिश, दृढ़ संकल्प और दीर्घकालीन कल्पना के अनुरूप लिखा है. एडीबीआई के द्वारा प्रकाशित किसी भारतीय प्रशासनिक सेवा द्वारा लिखित यह प्रथम केस स्टडी है जिसमें फील्ड लेवल अनुभवों को क्लास रूम के शिक्षण में उपयोग हेतु ढाला गया है.

 

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जानकारी के मुताबिक डॉ मनीष रंजन ने "पलाश" केस स्टडी को पेशेवर तरीके से तैयार किया है. अब उनका लिखा यह केस स्टडी देश के शीर्ष मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट से लेकर विदेशी कारपोरेट कंपनियों तक पहुंच गया है. 

 

इस पुस्तक में ग्रामीण इलाकों की समस्याओं को खत्म करने और ग्रामीण महिलाओं की आय को बढ़ाकर उन्हें मुख्यधारा में लाने के प्रयासों को पेशेवर तरीके से बताया गया है. यही कारण है कि एडीबीआई में इस केस स्टडी के प्रकाशित होने के कुछ ही घंटों के बाद देश के बड़े मैनेजमेंट कॉलेजों आईआईएम अहमदाबाद, एक्सएलआरआई, आईआईएम इंदौर और एमडीआई गुरुग्राम ने अपने इस केस स्टडी  को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने की अनुमति मांगी है.

 

"पलाश" केस स्टडी में बताया गया है कि झारखंड की महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों का समूह है, जो सामूहिक रूप से उत्पादन कर करती है. इसके बाद अपने उत्पाद को “पलाश” ब्रांड के साथ जोड़ करके बाजार में बेचती हैं. इसका प्रारंभ झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन द्वारा की गई थी।  ग्रामीण महिलाओं के उत्पाद को ब्रांड के रुप में बाजार मिलता है, जिससे अच्छी कीमत मिलती है और ग्रामीण महिलाओं की आय में बढ़ोतरी होती है.

 

मैनेजमेंट के क्लास में छात्रों को पढ़ाने के लिए तैयार केस में पलाश के ब्रांड की गुणवत्ता नियंत्रण, मूल्य निर्धारण, वितरण लागत और संगठन संरचना जैसे प्रबंधन और नैतिक दुविधाओं को भी सामने लाता है. पब्लिक लीडर्स और एमबीए छात्र गहराई से चर्चा कर सकते हैं. इसे वैश्विक क्षेत्र में झारखंड को स्थापित करने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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