Ranchi : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाज, प्रेम और शारीरिक संबंध से जुड़े एक मामले में एक में बड़ा फैसला दिया है. अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई महिला शुरू से ही यह जानती है कि सामाजिक कारणों से किसी व्यक्ति के साथ शादी संभव नही है और यह जानते हुए भी अगर किसी पुरुष के साथ संबंध में रहती है, तो ऐसे मामले को दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. यानी प्रेम संबंध की वजह से बना शारीरिक संबंध दुष्कर्म के दायरे में नहीं आ सकता.
यह मामला उत्तर प्रदेश के महोबा जिले की है. महिला लेखापाल के पद पर काम करती है. महिला ने अपने पुरुष सहयोगी पर आरोप लगाया था कि वर्ष 2019 में उसके सहकर्मी ने धोखे से नशा देकर दुष्कर्म किया, फिर वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया. बाद में आरोपी पुरुष शादी का वादा करके उसके साथ संबंध बनाता रहा और कुछ दिनों बाद शादी से इंकार कर दिया.
इस मामले में आरोपी के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, तब महिला ने एससी, एसटी के लिए बनी विशेष अदालत में शिकायत दर्ज करायी. एससी-एसटी कोर्ट ने भी महिला की शिकायत पर कार्रवाई करने से इंकार कर दिया, तब महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया था.
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई लंबे समय तक चली. इस दौरान जो तथ्य सामने आये, उसे ध्यान में रखते हुए अदालत ने फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ ने अपने फैसले में याचिका को खारीज करते हुए कहा है कि ऐसे मामलों को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता.
सहमति से बने संबंध में सिर्फ शादी से इंकार करने को अपराध नहीं माना जा सकता. क्योंकि दोनों पक्ष शुरू से ही यह जानता था कि सामाजिक कारणों से उनकी शादी नहीं हो सकती है.
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