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कांग्रेस-झामुमो को अगर सरना कोड की चिंता है तो धर्मांतरण पर लगाएं रोक: बाबूलाल

Ranchi :  नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला. भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने हेमंत सरकार को दो प्रमुख मुद्दों - सरना कोड और आयुष्मान भारत योजना को लेकर कटघरे में खड़ा किया. सरना कोड से पहले जरूरी है सरना धर्म-संस्कृति की रक्षा : मरांडी ने कहा कि अगर कांग्रेस और झामुमो को वास्तव में सरना आदिवासियों की चिंता है, तो उन्हें केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने होंगे. उन्होंने कहा कि सरना कोड की बात तब मायने रखेगी जब सरना धर्म और संस्कृति बची रहेगी. जो लोग सरना स्थल, मारांग बुरू, जाहेर थान को मानते हैं, वही सरना कोड भरेंगे. अगर धर्मांतरण यूं ही चलता रहा, तो सरना कोड भरने वाला बचेगा ही नहीं 2011 की जनगणना का हवाला : मरांडी ने 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि उस समय झारखंड की कुल जनसंख्या 3,29,88,134 थी, जिसमें 86,45,042 आदिवासी थे। इनमें से 14,18,608 (15.48%) ईसाई हो चुके हैं.   जातिवार आंकड़ों के अनुसार:
  • उरांव जनजाति में 26%
  • मुंडा (पातर मुंडा सहित) में 33%
  • संथाल में 0.85%
  • हो जनजाति में 2.14%
  • खड़िया में 67.92% लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं
मरांडी ने कहा कि ये आंकड़े 15 वर्ष पुराने हैं, और अब स्थिति और चिंताजनक हो सकती है.उन्होंने सवाल उठाया कि राहुल गांधी और हेमंत सोरेन बताएँ कि जब आदिवासी अपनी मूल संस्कृति और परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं, तो सरना कोड का औचित्य क्या बचेगा. धर्म स्वतंत्रता कानून को कड़ाई से लागू करे सरकार : उन्होंने रघुवर दास सरकार के दौरान बनाए गए धर्म स्वतंत्रता कानून को आदिवासी संस्कृति की रक्षा के लिए एक मजबूत कदम बताया और वर्तमान सरकार से इसकी सख्ती से लागू करने की मांग की.   आयुष्मान भारत योजना पर भी उठाए सवाल : बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई इस योजना में गरीबों को 5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलना था, लेकिन झारखंड सरकार की उदासीनता के कारण लोग इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस योजना को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना के नाम से लागू किया है, लेकिन इसमें कई खामियाँ हैं. राज्य में लाल, पीला, हरा कार्ड धारकों के साथ पत्रकार, वकील, पेंशनधारी आदि को शामिल तो किया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका लाभ नहीं मिल रहा. 10 महीने से नहीं हुआ भुगतान, अस्पतालों ने बंद किया इलाज : मरांडी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना में सूचीबद्ध 750 अस्पतालों में से 538 को फरवरी 2025 से भुगतान नहीं मिला है, जबकि 212 अस्पतालों का भुगतान 10 महीने से लंबित है. इसके चलते कई अस्पतालों ने इस योजना के तहत इलाज देना बंद कर दिया है और गरीब लोग इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं सरकार के फैसले गरीबों के खिलाफ : मरांडी ने सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 30-बेड और शहरी क्षेत्रों के लिए 50-बेड अस्पताल की अनिवार्यता को अव्यावहारिक बताया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के मापदंड के अनुसार 10-बेड के अस्पतालों को भी सूचीबद्ध किया जा सकता है, लेकिन झारखंड सरकार की नीति बड़े अस्पतालों को लाभ पहुंचाने वाली है. स्वास्थ्य मंत्री का बयान गैर-जिम्मेदाराना : मरांडी ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री पर भी निशाना साधा और कहा कि वे अपनी असफलता का ठीकरा ईडी पर फोड़ रहे हैं, जबकि ईडी ने किसी अस्पताल पर नहीं, बल्कि दलालों और बिचौलियों पर छापे मारे थे.उन्होंने मांग की कि जिन दलालों के पास सरकारी फाइलें पाई गईं, उन पर तत्काल एफआईआर होनी चाहिए मुख्य मांगें
  • सूचीबद्ध अस्पतालों का लंबित भुगतान शीघ्र किया जाए
  • ग्रामीण क्षेत्रों में 10-बेड के अस्पतालों को योजना में शामिल किया जाए
  • योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाई जाए
  • शिकायत निवारण समितियों की नियमित बैठकें हों
मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार को इधर-उधर की बातें कर जनता को गुमराह करने के बजाय, ज़मीनी हकीकत पर काम करना चाहिए     इसे भी  पढ़े-पलामूः">https://lagatar.in/palamu-dozens-of-people-were-tested-for-filariasis-in-the-camp/">पलामूः

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