NewDelhi : भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा भूख से मरने को लेकर की गयी टिप्पणी के संदर्भ में मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. स्वामी ने ट्वीट किया कि यह सभी के लिए भयानक है, आखिर किसने वोट के खातिर विकास का शोषण किया. पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट में अपनी ही सरकार पर निशाना साधा. दरअसल हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों को राशन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को ऐसी पाइप लाइन तैयार करने का निर्देश दिया, जिससे उन्हें राशन मिलना सुनिश्र्चित हो सके. अदालत ने कहा कि हमारे विकास करने के बाद भी लोग भूख से मर रहे हैं.
Citizens dying of hunger despite development: Supreme Court https://t.co/8bbX3eSIfA: Terrible for all of us who exploited “Vikas” to get votes
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 23, 2022
आखिर किसने वोट के खातिर विकास का शोषण किया
सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट की इस टिप्पणी को लेकर एक ट्वीट में कहा कि यह सभी के लिए भयानक है, आखिर किसने वोट के खातिर विकास का शोषण किया. माना जा रहा है कि स्वामी का यह ट्वीट पीएम मोदी द्वारा विकास के दावों को लेकर किया गया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर इतना ही विकास हुआ है तो फिर लोग भूख से क्यों मर रहे हैं. अपने ट्वीट में एक इंग्लिश खबर का लिंक भी शेयर की है. जो कोर्ट की टिप्पणी पर आधारित है.
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सुप्रीम कोर्ट ने की थी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को लोगों के भूख के कारण मरने पर राज्य सरकारों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए तौर-तरीकों पर काम करें कि अधिक से अधिक प्रवासी श्रमिकों को राशन दिया जाये. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा था, आखिरकार, उद्देश्य यह हो कि भारत में कोई भी नागरिक भूख से न मरे. दुर्भाग्य से हमारे विकास के बावजूद भूख के चलते मौतें हो रही हैं. देश में नागरिक की जान भूख और भोजन की कमी से जा रही है. मुझे पता है गांवों में अपना पेट कसकर बांधते हैं ताकि उन्हें भूख न लगे. इस खबर का लिंक शेयर करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया.
बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी ने अभी हाल ही में बीसीसीआई द्वारा अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव जय शाह और अन्य पदाधिकारियों का कूलिंग ऑफ पीरियड बढ़ाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. बीसीसीआई के इस फैसले के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी ने 18 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की. अपना याचिका में उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के इस कदम का विरोध किया है.
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