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ऑनलाइन मार्केट की मारः रिटेल सेक्टर का 30 प्रतिशत कारोबार हाथ से निकल गया

Soumitra Roy सड़कों के दोनों ओर चमचमाती दुकानें और शॉपिंग मॉल आगे शायद नजर न आएं. या कम दिखे. बाय वन गेट 3 का ऑफर भी लोगों को नहीं लुभा पा रहा है. स्टॉक धरे रह गये हैं. दुकानदार की हालत फेरी वाले जैसी हो चुकी है. बस ग्राहक के पैर पकड़ना बाकी रह गया है. आप गर्व से कह सकते हैं कि वो हैं तो ये भी मुमकिन है. लेकिन भारत के 7 करोड़ खुदरा कारोबारियों के दर्द को आप इस एक जुमले से यूं खारिज़ नहीं सकते. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद हो या नहीं, पर आपको याद रखना चाहिए कि लॉकडाउन से पहले यही 7 करोड़ व्यापारी रोजाना 15000 करोड़ का कारोबार किया करते थे. लॉकडाउन ने 15 लाख करोड़ के खुदरा कारोबार का नुकसान किया. एक चौथाई खुदरा दुकानें बंद हो चुकी हैं. यानी 2 करोड़. दशहरा और दीवाली से खुदरा व्यापारियों को बड़ी उम्मीदें थीं. किसी तरह उधार लेकर माल उठाया था. दशहरे से पहले फ्लिपकार्ट और फिर अमेजन ने दुकान सजा ली. सेल लगा दिया. अभी तक कुल 50 हजार करोड़ से ज़्यादा बिक्री हुई है. यानी तेल-मसाले से लेकर टीवी और रेफ्रिजरेटर तक 30 फीसदी से ज़्यादा का कारोबार ऑनलाइन के हवाले हो गया है. जल्दी ही भारत में प्रतिमाह 4.5 लाख करोड़ के रिटेल सेक्टर की आधी कमाई ई-कॉमर्स के हवाले होने जा रही है. इसे भी एक जुमले में खारिज़ नहीं किया जा सकता. ये सभी बीजेपी के वोटर रहे. आगे इस नये भारत में ये किस ओर करवट लेंगे नहीं मालूम. पर इनकी बदहाली देश की बदहाली है. क्या होगा, जब घाटे में डूबे एक कारोबारी की दुकान बंद हो जाएगी. एक दुकान का बंद होना पेड़ के सूख जाने जैसा है.

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