NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को लेकर बुधवार को अहम फैसला सुनाया. खबर है कि SC ने शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अब किसी भी नये व्यक्ति को मराठा आरक्षण के आधार पर कोई नौकरी या कॉलेज में सीट नहीं दी जा सकेगी.
कोर्ट के इस फैसले से पीजी मेडिकल पाठ्यक्रम में पहले किये गये दाखिले बने रहेंगे, पहले की सभी नियुक्तियों में भी छेड़छाड़ नहीं की जायेगी. पहले के दाखिले और नियुक्तियों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा.
पांच जजों ने तीन अलग-अलग फैसला दिया
जान लें कि पांच जजों ने तीन अलग-अलग फैसला दिया, लेकिन सभी ने माना कि मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं दिया जा सकता, आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता, आरक्षण सिर्फ पिछड़े वर्ग को दिया जा सकता है, मराठा इस कैटेगरी में नही आते हैं, राज्य सरकार ने इमरजेंसी क्लॉज के तहत आरक्षण दिया था, लेकिन यहां कोई इमरजेंसी नहीं थी.
सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था
सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने इस बात पर भी सुनवाई की थी कि क्या राज्य अपनी तरफ से किसी वर्ग को पिछड़ा घोषित करते हुए आरक्षण दे सकते हैं या संविधान के 102वें संशोधन के बाद यह अधिकार केंद्र को है.
मराठा समुदाय को पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार मराठा समुदाय को कोटा के लिए सामाजिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सकता. कहा कि यह 2018 महाराष्ट्र राज्य कानून समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. कोर्ट ने कहा कि हम 1992 के फैसले की फिर से समीक्षा नहीं करेंगे, जिसमें आरक्षण का कोटा 50 फीसदी पर रोक दिया गया था. न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीश की संविधान पीठ फैसला सुनाया. बता दें कि आरक्षण को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गयी थी.