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गुरुद्वारा लखपत साहिब में मोदी ने कहा, गुरु तेग बहादुर ने सिखाया, आतंक-मजहबी कट्टरता से कैसे लड़ा जाता है

 NewDelhi :  अंग्रेजों के शासनकाल में भी हमारे सिख भाइयों बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया,  हमारा आज़ादी का संग्राम, जलियांवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है. औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है. इसी तरह दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है. इसे भी पढ़ें : यूपी">https://lagatar.in/up-black-moneys-magic-broken-177-crores-found-in-it-raid-from-perfume-trader-jain-sent-to-reserve-bank-basement-also-found/">यूपी

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गुरु नानक देव जी लखपत में रुके थे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 25 दिसंबर को गुजरात के कच्छ में गुरुद्वारा लखपत साहिब में गुरु नानक देव जी के गुरुपर्व समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए अपने विचार व्यक्त किये. बता दें कि हर साल 23 से 25 दिसंबर तक गुजरात की सिख संगत गुरुद्वारा लखपत साहिब में गुरु नानक देव जी का गुरुपर्व मनाती है. अपनी यात्रा के दौरान गुरु नानक देव जी लखपत में रुके थे. गुरुद्वारा लखपत साहिब में उनके अवशेष हैं, जिनमें लकड़ी के जूते और पालकी (पालना) के साथ-साथ गुरुमुखी की पांडुलिपियां और चिह्नों की लिपियां शामिल हैं. इसे भी पढ़ें :  Omicron">https://lagatar.in/amidst-the-threats-of-omicron-the-ministry-of-health-will-send-special-teams-to-10-states-415-cases-of-omicron-in-the-country/">Omicron

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गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है

पीएम मोदी ने कहा. गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है. मुझे याद आ रहा है कि लखपत साहिब ने कैसे-कैसे झंझावातों को देखा है. एक समय यह स्थान दूसरे देशों में जाने और व्यापार के लिए प्रमुख स्थान होता था. इस क्रम में मोदी ने कहा, अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं. कहा कि कुछ माह पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं.

गुरुद्वारा लखपत साहिब उसी गौरव के साथ खड़ा है

मोदी ने कहा कि 1998 के समुद्री तूफान से इस जगह को, गुरुद्वारा लखपत साहिब को काफ़ी नुकसान हुआ और 2001 के भूकंप को गुरुद्वारा साहिब की 200 साल पुरानी इमारत को बड़ी क्षति पहुंचाई थी. लेकिन फिर भी गुरुद्वारा लखपत साहिब उसी गौरव के साथ खड़ा है.  मोदी ने कहा-देशवासी करतारपुर साहिब तक आसान पहुंच की कामना कर रहे थे.  2019 में, हमारी सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर का काम पूरा किया. इसे भी पढ़ें :   भारत">https://lagatar.in/indias-agni-p-missile-echoes-across-the-world-american-experts-said-can-destroy-pakistan-in-a-few-seconds/">भारत

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 तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे

2001 के भूकंप के दौरान गुरुद्वारा को नुकसान हुआ था.  तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने गुरुद्वारे की मरम्मत सुनिश्चित करने के लिए तत्काल दिशा-निर्देश दिये थे. मोदी गुरु नानक देव जी के 550 वें प्रकाश पर्व, गुरु गोबिंद सिंह जी के 350 वें प्रकाश पर्व और गुरु तेग बहादुरजी के 400 वें प्रकाश पर्व के उत्सव शामिल हो चुके हैं।

ऐतिहासिक महत्व रहा है लखपत का

लखपत गुजरात के कच्छ ज़िले में स्थित एक गांव है.  यह18वीं शताब्दी में बनी 7 किमी लम्बी दीवारों से घिरा हुआ गांव है.  इस शहर का नाम राव लाखा के नाम पर है, जिन्होंने तेरहवीं शताब्दी के मध्य सिंध में शासन किया था.  ऐतिहासिक रूप से यह गुजरात को सिंध से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थान रहा है.  फतेह मुहम्मद ने अठारहवीं शताब्दी के करीब (1801) किले की दीवार को बड़ा कर दिया था. एक समय सिंध के व्यापार का एक बड़ा हिस्सा यहां केंद्रित था.

नवंबर, 2020 में  मन की बात में  गुरुद्वारा लखपत का जिक्र किया था

बता दें कि नवंबर, 2020 में  मन की बात के तहत देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने गुरुनानक दिवस के लिए देशवासियों को बधाई देते हुए गुरुद्वारा लखपत साहिब  का जिक्र किया था.  मक्का जाने के रास्ते में गुरुनानक जी अपनी दूसरी (1506-1513) और चौथी (1519-1521) मिशनरी यात्रा के दौरान शहर में रहे थे.  ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपनी चौथी यात्रा के दौरान इस स्थल का दौरा किया था.  19वीं सदी की शुरुआत में यहां गुरुद्वारा की स्थापना की गयी थी. इस स्थल की उदासी संप्रदाय द्वारा पूजा की जाती है. रखरखाव  भी किया जाता है।. इसे राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया गया हैय  इसे 2004 में यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार मिला है. [wpse_comments_template]

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