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मोदी के मन की बात में वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत पर जोर, पर आंदोलनकारी किसानों ने ताली-थाली बजा कर किया विरोध

NewDelhi : पीएम मोदी ने आज रविवार, 27 दिसंबर को जनता से अपने मन की बात तो कही, लेकिन किसान आंदोलन पर कुछ नहीं कहा. खास बात रही कि केंद्र के तीन कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के बीच मोदी के मन की बात कार्यक्रम का विरोध आंदोलनकारी किसानों ने थाली और ताली बजाकर किया. बता दें कि पीएम मोदी का साल का यह आखिरी मन की बात कार्यक्रम था. किसान नेता पूर्व में मन की बात का विरोध करने की घोषणा कर चुके थे. इसे भी पढ़ें : आंदोलनकारी">https://lagatar.in/agitating-farmers-ready-to-discuss-with-government-set-date-for-december-29-know-what-is-the-agenda-of-negotiation/12795/">आंदोलनकारी

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पीएम ने कई मसलों पर अपनी बात रखी

मन की बात में पीएम ने कई मसलों पर अपनी बात रखी. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की समस्या, स्वच्छ भारत अभियान, आत्मनिर्भर भारत अभियान का जिक्र किया. उनके पास आये लोगों के पत्र, शेरों की आबादी, समुद्र तटों की सफाई आदि पर अपने विचार रखे.  इस क्रम में प्रधानमंत्री  मोदी ने वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत पर जोर देते हुए देशवासियों से इन दोनों अभियानों को मुकाम तक पहुंचाने की अपील की. साथ ही उन्होंने  गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों के शहादत दिवस के साथ-साथ गीता जयंती की भी चर्चा करते हुए कहा कि इस देश ने कभी अत्याचारियों और आतताइयों के सामने झुकना कबूल नहीं किया. वन और पर्यावरण से लेकर स्वच्छ भारत मिशन पर भी अपने विचार खुलकर रखे. आप नेता और पंजाब से सांसद भगवंत मान और एक अन्य विधायक द्वारा थाली बजाकर पीएम का विरोध किया जाना विशेष रहा.  मान के अनुसार    उन्होंने किसानों के समर्थन में प्रधानमंत्री मोदी की झूठी मन की बात के खिलाफ थाली बजा कर विरोध जताया. इसे भी पढ़ें : देश">https://lagatar.in/fintech-companies-are-forcing-the-young-generation-of-the-country-to-commit-suicide-by-getting-into-debt-trap/12896/">देश

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किसान संगठनों  ने 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव दिया

मन की बात से एक दिन पहले शनिवार को प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारी किसान संगठनों ने सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया है.  29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव दिया.  संगठनों ने मांग की कि  कृषि  कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ   न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा एजेंडा में शामिल होना चाहिए. यह फैसला कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में किया गया.
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