Search

हजारीबाग ढेंगा गोलीकांड: हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट को आदेश देने पर लगायी रोक, सरकार को जवाब के लिए मिला समय

Ranchi: झारखंड राज्य के हजारीबाग के बड़कागांव में हुए चर्चित ढेंगा गोलीकांड मामले में नया मोड़ सामने आ गया है. हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल चौधरी की कोर्ट ने रांची सिविल कोर्ट के विशाल श्रीवास्तव के कोर्ट में चल रहे ट्रायल पर अगले आदेश तक किसी प्रकार का आदेश जारी करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. इससे पूर्व ढेंगा गोलीकांड में पुलिस के अनुसंधान और चार्जशीट पर सवाल खड़ा करते हुए मंटु सोनी द्वारा याचिका दायर किया गया था. जिसपर जुलाई 2022 में झारखंड हाईकोर्ट ने सीआईडी जांच का आदेश दिया था. दरअसल इस मामले में नया ट्विस्ट तब आया, जब हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक तरफ सीआईडी अब तक उस मामले पर अनुसंधान पूरा नही कर रही है और वहीं पूर्व चार्जशीट जिसके खिलाफ हाईकोर्ट ने सीआईडी जांच का आदेश दिया था, उसी के आधार पर मामले का ट्रायल रांची सिविल कोर्ट के विशाल श्रीवास्तव के कोर्ट में चलाया जा रहा है. ऐसी स्थिती में एक बार फिर यह मामला झारखंड हाईकोर्ट पहुंच गया है. प्रार्थी मंटु सोनी ने अपने अधिवक्ता हेमंत सिकरवार के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर कहा है कि सीआईडी मामले की जांच पूरा नही कर रही है और रांची सिविल कोर्ट के विशाल श्रीवास्तव द्वारा सुप्रीम कोर्ट के नत्थी लाल बनाम यूपी सरकार के आदेश का उल्लंघन कर पूर्व की चार्जशीट पर ट्रायल भी चला रहा है. इसे भी पढ़ें -सुप्रीम">https://lagatar.in/congress-approaches-supreme-court-opposes-challenge-to-provisions-of-places-of-worship-special-provisions-act-1991/">सुप्रीम

कोर्ट पहुंची कांग्रेस, Places of Worship (Special Provisions) Act 1991 के प्रावधानों को चुनौती देने का विरोध..

विशाल श्रीवास्तव के खिलाफ राष्ट्रपति ने डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस को कार्रवाई के लिए कहा था

इससे पूर्व मंटु सोनी की ही शिकायत पर रांची सिविल कोर्ट के एडीजे सात सह स्पेशल जज विशाल श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगे हैं. उनके खिलाफ एक शिकायत पर राष्ट्रपति भवन के अवर सचिव गौतम कुमार ने भारत सरकार के न्याय विभाग के संयुक्त सचिव को स्वतः स्पष्ट याचिका को संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया गया था. उनके खिलाफ शिकायत में यह कहा गया था कि ट्रायल के दौरान एफआईआर से लेकर किसी गवाहों ने उक्त घटना में वाहनों को जलाने की बात नहीं कहे जाने के बाद भी एडीजे विशाल श्रीवास्तव ने सीआरपीसी 313 के तहत बयान में पूछते हैं कि आपके खिलाफ वाहनों में तोड़फोड़ और प्रशासन के वाहनों में आग लगाने का सबूत है, क्या कहना है? विशाल श्रीवास्तव की भूमिका पर यह सवाल खड़ा किया गया कि जब एफआईआर से लेकर किसी गवाहों ने प्रशासन के वाहनों पर आग लगाने का आरोप नहीं लगाया तो विशाल श्रीवास्तव के पास वाहनों के आग लगाने का सबूत कहां से आ गये, जो उन्होंने सीआरपीसी 313 के बयान में आरोपियों से पूछा? इसके अलावा तथ्यों को ध्यान में दिए एकतरफा आदेश पारित किए जाने का आरोप लगाया गया था. इसे भी पढ़ें -भड़के">https://lagatar.in/health-minister-dr-irfan-got-angry-reprimanded-the-superintendent-inspected-snmmch/">भड़के

हेल्थ मिनिस्टर डॉ इरफान, सुपरीटेंडेंड को लगाई फटकार, SNMMCH का किया निरीक्षण
[wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp