Ranchi: बरसात के मौसम में सांप काटने के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान “रिम्स” में हर रोज औसतन 4-5 मरीज सांप काटने के मामले आ रहे हैं. इनमें 90 प्रतिशत मरीज जहरीले सांप के काटने के कारण अस्पताल पहुंच रहे हैं. रिम्स के मेडिसिन विभाग के 6 यूनिट को मिलाकर सर्पदंश के मरीजों की संख्या 50 के करीब है.
झारखंड में सबसे अधिक पीट वाइपर और रसल वाइपर सांप
जानकारी के मुताबिक झारखंड में सबसे ज्यादा पीट वाइपर और रसल वाइपर सांप हैं. उसके बाद करैत और कोबरा सांप पाये जाते हैं.
कोबरा-करैत डंसने पर दी जाती है ये दवा
रिम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ बी कुमार ने बताया कि कोबरा और करैत के काटने पर नियोस्टिगमाइन और एट्रोपिन दवा दी जाती है. इसके साथ ही स्नेक एन्टीवेनम भी दिया जाता है.
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सर्पदंश के शिकार मरीजों की फेल हो जाती है किडनी
रिम्स मेडिसिन विभाग के डॉ बी कुमार ने कहा कि यदि जहरीले सांप ने किसी को काट लिया है और वक्त पर इलाज नहीं किया जाता है तो ऐसी परिस्थिति में मरीज की किडनी फेल हो जाती हैं. हार्ट ब्लॉक हो जाता है. साथ ही सांस लेने वाली मांसपेशियां भी प्रभावित होती हैं. सांप काटने के कारण ब्लड क्लॉटिंग सिस्टम भी प्रभावित हो जाती है.
झाड़-फूंक में वक्त नहीं करें बर्बाद
रिम्स के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ विद्यापति ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को सांप ने काट लिया तो झाड़फूंक पर विश्वास नहीं करते हुए उसे जल्द से जल्द अस्पताल में इलाज के लिए आना चाहिए. सर्पदंश के शिकार यदि समय पर अस्पताल पहुंच जाते हैं तो 99% जान बचाने की उम्मीद रहती है.
मकई के खेत में महिला को डंसा सांप
लातेहार जिले के बालूमाथ की रहने वाली लालो देवी का इलाज रिम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ संजय कुमार सिंह की यूनिट में चल रहा है. लालो के पति ने बताया कि मकई के खेत में कीटनाशक छिटने के दौरान पैर की उंगली में जहरीले सांप ने काट लिया. आनन-फानन में इलाज के लिए मिशन हॉस्पिटल लातेहार और इसके बाद रिम्स लेकर आए हैं. मरीज के स्थिति गंभीर बनी हुई है.
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