New Delhi : विश्व दृष्टि दिवस के अवसर पर जारी नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यदि भारत में सिर्फ छह आसान कदम उठाए जाएं, जैसे स्कूलों में आंखों की जांच करना और मौके पर ही चश्मे देना, तो देश की अर्थव्यवस्था को हर साल 3.6 लाख करोड़ रुपए का लाभ होगा. रिपोर्ट के अनुसार, हर 1 रुपए के निवेश पर 16 रुपए का रिटर्न भी मिलेगा.
रिपोर्ट आईएपीबी, सेवा फाउंडेशन और फ्रेड हॉलोज फाउंडेशन द्वारा तैयार की गई है और इसे यूएन जनरल असेंबली के दौरान लॉन्च किया गया. भारत में लगभग 70 करोड़ लोग ऐसी दृष्टि हानि से जूझ रहे हैं, जिसे समय पर साधारण उपायों से रोका जा सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार 22,100 करोड़ रुपए के निवेश से
. कार्य उत्पादकता में 2.27 लाख करोड़ रुपए का लाभ
. रोजगार में 78,700 करोड़ रुपए की वृद्धि
. शिक्षा में 9,60,000 अतिरिक्त स्कूली वर्षों के बराबर लाभ
. देखभाल में 40,800 करोड़ रुपए की बचत
. 8,27,000 से अधिक लोगों को अवसाद से राहत
. परिवहन दुर्घटनाओं और मृत्यु दर में 65,000 की कमी
महाराष्ट्र के फंगुलगांव के 19 वर्षीय तुला कोभी कमजोर दृष्टि के कारण कॉलेज छोड़ना पड़ा, लेकिन चश्मा मिलने के बाद उसकी जिंदगी बदल गई.
आईएपीबी और मिशन फॉर विजन के अधिकारियों ने सभी से अपील की है कि अपनी आंखों की जांच कराएं और बच्चों को समय पर चश्मा प्रदान करें. रिपोर्ट में छह प्राथमिक क्षेत्रों पर जोर दिया गया है, जिनमें समुदाय में दृष्टि स्क्रीनिंग, चश्मा वितरण, आंख स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या बढ़ाना और मोतियाबिंद सर्जरी में सुधार शामिल हैं.
आईएपीबी के सीईओ पीटर हॉलैंड का कहना है कि दृष्टि हानि एक वैश्विक समस्या है, लेकिन इसका समाधान सरल और किफायती उपायों से संभव है. आंखों में निवेश करना भविष्य में निवेश करना है.
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