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भारत में वास्तविक लोकतंत्र नहीं हैं,आदिवासियों को अभी भी हीन नागरिक के रूप में देखा जाता है :ग्लैडसन डुंगडुंग

Ranchi :  झारखंड जनाधिकार महासभा का पहला राज्य सम्मेलन जयपाल सिंह मुंडा के पैतृक गांव टकरा (खूंटी जिला) में सम्म्पन हुआ. तीसरे दिन विभिन्न् सामाजिक मुद्दे को लेकर आंदोलन की रणनीति पर विचार-विर्मश किया गया. सम्मेलन में नागरिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए विभिन्न संघर्षों में शामिल लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया. इसे भी पढ़ें -कोडरमा">https://lagatar.in/villagers-protest-against-barhi-mla-umashankar-akela-in-koderma/">कोडरमा

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जयपाल सिंह मुंडा के जीवन और विचारों को याद किया

सम्मलेन के पहले सत्र में प्रतिभागियों ने मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के जीवन और विचारों को याद किया. इस विषय पर जाने माने लेखक अश्विनी पंकज ने जयपाल सिंह मुंडा के विचारों तथा योगदान को साझा किया. वहीं पहले दिन भारत में लोकतंत्र की स्थिति और आगे की राह पर चर्चा की गयी. प्रसिद्ध आदिवासी कार्यकर्ता और लेखक ग्लैडसन डुंगडुंग ने तर्क दिया कि भारत में वास्तविक लोकतंत्र नहीं हैं. लोकतंत्र एक मिथक है, उन्होंने कहा कि अब भी आदिवासियों को हीन नागरिक के रूप में माना जाता है और उन्हें मौलिक अधिकारों से वंचित किया जाता है. इसे भी पढ़ें -ड्रग">https://lagatar.in/drug-case-aryan-khan-gets-one-days-custody-all-three-accused-will-spend-the-night-in-ncb-office/">ड्रग

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लोकतांत्रिक अधिकारों के सिकुड़ने के बारे में बात की

उन्होंने बताया कि संविधान भी एक ऐसी संविधान सभा द्वारा बनायी गयी थी, जहां 70 प्रतिशत से अधिक सदस्य ऊंची जातियों के थे, इसलिए हम यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि यह वंचित समूहों के हितों की रक्षा करेगा. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की महासचिव कविता श्रीवास्तव ने कुछ सप्ताह पहले फादर स्टेन स्वामी की संस्थागत हत्या के प्रतीक लोकतांत्रिक अधिकारों के सिकुड़ने के बारे में बात की. उन्होंने प्रतिभागियों को पेगासस द्वारा सरकार की बढ़ती निगरानी की भी चेतावनी दी. दयामणि बारला, जिन्होंने झारखंड में विस्थापन और प्राकृतिक संसाधनों से जुड़े कई अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई, ने इन जनविरोधी ताकतों के खिलाफ राजनीतिक रूप से एकजुट होने की आवश्यकता के बारे में बताया. इसे भी पढ़ें -कीनन">https://lagatar.in/two-positives-found-today-keenan-stadium-from-10-am-to-10-pm/">कीनन

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प्रतिभागियों ने उठाये कई सवाल

अगले सत्र का नेतृत्व झारखंड जनाधिकार महासभा की युवा शाखा ने किया. आशुतोष तिर्की, दीपक रंजीत, गुंजल इकिर मुंडा, प्रियंका सोरेन और अन्य ने झारखंड के युवाओं की बेरोजगारी, पहचान, यौन हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य जैसी विभिन्न चिंताओं के बारे में बात की. प्रस्तुतियों के बाद एक जीवंत चर्चा हुई क्योंकि प्रतिभागियों ने लोकतांत्रिक संस्थानों की विश्वसनीयता, झारखंड के आर्थिक भविष्य और अन्य मामलों के बारे में कठिन सवाल उठाए. इसे भी पढ़ें -संत">https://lagatar.in/osf-sisters-celebrate-the-feast-of-saint-francis-of-assisi-in-st-lukes-church/">संत

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 प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन पर किया गया विर्मश

2 अक्तूबर को झारखंड में श्रमिकों के अधिकारों, किसानों के आंदोलन, स्वशासन और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन पर जीवंत सत्रों के साथ जारी रहा. कुमार चंद्र ने बताया कि कैसे झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कि इसके जल संसाधनों पर कॉरपोरेट घरानों द्वारा छापा मारा जा रहा हैं, जबकि स्थानीय निवासियों को इन साधनों से वंचित् छोड़ दिया गया हैं. वर्किंग पीपुल्स चार्टर के समन्वयक चंदन कुमार ने झारखंड में प्रवासी श्रमिकों के संघ के गठन के लिए तर्क दिया. झारखंड में नरेगा वॉच के समन्वयक जेम्स हेरेन्ज ने बताया कि कैसे नरेगा श्रमिकों के लिए रांची या जमशेदपुर के श्रमिक अड्डा में खुद को दैनिक आधार पर बेचने से बचने का एक अवसर हैं. लातेहार में भीम आर्मी के रमेश जाटव ने अपने संगठनों के काम की बात की और झारखंड के युवाओं से इसमें शामिल होने की अपील की. घरेलू कामगार संघ की पूनम होरो ने घरेलू कामगारों की दुर्दशा के बारे में बात की और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक विशेष कानून बनाने की अपील की. इसे भी पढ़ें -आनंदपुर:">https://lagatar.in/anandpur-29-cattle-killed-by-lightning-in-tree-oat-to-escape-rain/">आनंदपुर:

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अडानी पावर प्लांट में कई कानूनों का उल्लंघन

इसके बाद प्राकृतिक संसाधनों पर हमले और जनविरोधी खनन पर एक सत्र का आयोजन किया गया. पूर्व विधायक देवेंद्र नाथ चंपिया ने पांचवीं अनुसूची और पेसा को अक्षरश: लागू करने की आवश्यकता पर बात की. चिंतामणि साहू ने बताया कि कैसे गोड्डा में अडानी पावर प्लांट में कई कानूनों का उल्लंघन करता है और स्थानीय लोगों के लिए फायदेमंद नहीं है. जॉर्ज मोनिपल्ली और रोज़ ज़ाक्सा ने वन अधिकार अधिनियम के खराब कार्यान्वयन के बारे में बात की. दिन के अंतिम सत्र में केंद्र सरकार द्वारा बढ़ते दमन और राज्य में जारी मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गहन चर्चा हुई. लातेहार की जीरामनी देवी ने साझा किया कि कैसे उनके पति ब्रम्हदेव सिंह, जब छोटे जानवरों के पारंपरिक शिकार के लिए निकले थे, तब सुरक्षा बलों द्वारा खुलेआम गोली से मारे गए थे. हीरालाल टुडू ने बताया कि कैसे उन्हें यूएपीए के तहत नक्सलवाद के झूठे आरोपों में कैद किया गया था. तीसरे दिन विभिन्न् सामाजिक मुद्वे को लेकर आदोलन की रणनीति पर विर्मश किया गया. सम्मेलन में नागरिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को लेकर विर्मश किया गया. [wpse_comments_template]    

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