New Delhi : भारत ने अमेरिका के साथ पहली बार एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रो0लियम गैस) इंपोर्ट के लिए एक साल का लॉन्ग-टर्म समझौता किया है. केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को इसकी घोषणा की और इसे देश के एलपीजी मार्केट के लिए ऐतिहासिक कदम बताया.
A historic first!
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) November 17, 2025
One of the largest and the world’s fastest growing LPG market opens up to the United States.
In our endeavour to provide secure affordable supplies of LPG to the people of India, we have been diversifying our LPG sourcing.
In a significant development,…
एलपीजी की सुरक्षित व सस्ती आपूर्ति में मिलेगी मदद
पुरी ने कहा कि यह समझौता देश में एलपीजी की सुरक्षित और सस्ती आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करेगा और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा. इसके तहत भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां सालाना लगभग 2.2 मिलियन टन एलपीजी अमेरिका से इंपोर्ट करेंगी. यह मात्रा भारत के वार्षिक एलपीजी इंपोर्ट का करीब 10 प्रतिशत है. इसे अमेरिकी खाड़ी तट से प्राप्त किया जाएगा.
अमेरिकी एलपीजी को भारत के बाजार से जोड़ेगा
यह पहली लॉन्ग टर्म डील है, जो अमेरिकी एलपीजी को सीधे भारत के बाजार से जोड़ेगा. मंत्री ने बताया कि इंडियन ऑयल (IOCL), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) की टीमों ने हाल के महीनों में अमेरिका के प्रमुख एलपीजी उत्पादकों से इस समझौते पर बातचीत की और यह सफल हुआ.
सस्ती रसोई गैस के लिए सरकार ने 40000 करोड़ अधिक खर्च उठाया
पुरी ने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत घरेलू परिवारों, खासकर महिलाओं को सस्ती रसोई गैस उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने बताया कि पिछले साल वैश्विक एलपीजी की कीमतों में 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी के बावजूद उज्ज्वला उपभोक्ताओं को प्रति सिलेंडर केवल 500-550 रुपये देना पड़ा, जबकि असली लागत 1,100 रुपये से अधिक थी. अंतरराष्ट्रीय कीमतों से बचाने के लिए सरकार ने 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च उठाया.
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