MumbaI : बताया गया है कि कोविड-19 के भारतीय वेरिएंट B.1.617 वैक्सीन से डिवेलप हुई एंटीबॉडी के बच निकलने में सक्षम है, लेकिन इस वेरिएंट के पास वैक्सीन शॉट लगवा चुके लोगों को अधिक से अधिक बीमार भर कर सकने की ही क्षमता है. खबरों के अनुसार भारत और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने अधिकतर लोगों के लिए वैक्सीनेशन को ही सुरक्षित माना है.
बता दें कि महाराष्ट्र के विदर्भ में तीन माह पहले पाया गया यह म्यूटेंट अब भारत के विभिन्न इलाकों के अलावा 40 अन्य देशों में फैल चुका है. म्यूटेशन E484Q और L452R होने की वजह से इसे डबल म्यूटेंट कहा गया है. कोरोना का यह वेरिएंट वैक्सीन की वजह से तैयार हुए सुरक्षात्मक लेयर से बच निकलता है.
वैक्सीनेशन के बावजूद कुछ लोग इस वेरिएंट से संक्रमित हो जा रहे हैं.
10 देशों की लैबोरेट्री के समूह भारत के INSACOG और ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने SARS-CoV-2 B.1.617 को लेकर रिसर्च पेपर में संभावना का जिक्र किया है. कहा है कि वैक्सीनेशन के बावजूद कुछ लोग इस वेरिएंट से संक्रमित हो जा रहे हैं. हालांकि यह संक्रमण काफी हल्का रहेगा.
वैक्सीनेशन ही अधिकतर लोगों के लिए सुरक्षित है
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग के रवि गुप्ता(नयी स्टडी में शामिल) के अनुसार, रिसर्च डेटा में इस वेरिएंट की अधिकता को एक्सप्लेन किया गया. लेकिन यह भी स्पष्ट किया गया है कि वैक्सीनेशन ही अधिकतर लोगों के लिए सुरक्षित है. दिल्ली स्थित इंस्टिस्टूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायॉलजी के निदेशक डॉक्टर अनुराग अग्रवाल और वैज्ञानिक विनोद सकारिया ने भी इस वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीनेशन को हरी झंडी दी है.
बता दें कि एक माह पहले अमेरिकी वैज्ञानिक एंथनी फॉसी ने भी माना था कि नये वेरिएंट के लिए कोवैक्सिन ही प्रभावी है. भारत सरकार पहले B.1.617 को गंभीर नहीं मान रही थी लेकिन यह अब स्पष्ट हो चुका है कि महाराष्ट्र वेरिएंट ने बड़ा रोल निभाया है. ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग ने भी इस वेरिएंट को लेकर चिंता जतायी है.