फरवरी और मार्च में दो बार घटा और बढ़ा देश का भंडार
बता दें कि 4 मार्च को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 39.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 631.92 अरब डॉलर हो गया था. वहीं 25 फरवरी को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.425 अरब डॉलर घटकर 631.527 अरब डॉलर रह गया. इससे पहले 18 फरवरी को खत्म हुए सप्ताह में यह 2.762 अरब डॉलर बढ़कर 632.952 अरब डॉलर हो गया था. वहीं 11 फरवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.763 अरब डॉलर घटकर 630.19 अरब डॉलर रह गया था. इसे भी पढ़े : Ukraine">https://lagatar.in/ukraine-russia-war-putins-pressure-politics-russian-nuclear-submarines-landed-in-north-atlantic-ocean-what-next/">UkraineRussia war : पुतिन की प्रेशर पॉलिटिक्स, नॉर्थ अटलांटिक महासागर में उतारी रूसी nuclear submarines, आगे क्या ?
एफसीए घटने के कारण कम हुआ विदेशी मुद्रा भंडार
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) घटने के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आयी है. विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. फॉरेन करेंसी एसेट्स में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं को भी शामिल किया जाता है. रिपोर्टिंग वीक में एफसीए में 703 मिलियन डॉलर की कमी आयी है. जिसके बाद यह घटकर 553 मिलियन डॉलर रह गया है.42 अरब डॉलर रह गया भारत का गोल्ड रिजर्व
रिपोर्टिंग वीक में स्वर्ण भंडार में गिरावट देखने को मिली है. समीक्षाधीन सप्ताह में यह 1.7 अरब डॉलर कम होकर 42 अरब डॉलर पर पहुंच गया. हालांकि इससे पहले गोल्ड रिजर्व में बढ़त देखने को मिली थी. 11 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में देश का स्वर्ण भंडार 1.522 अरब डॉलर बढ़कर 43.842 अरब डॉलर हो गया था. इसे भी पढ़े : लोहरदगा">https://lagatar.in/hindalco-mines-worker-killed-with-sticks-and-stones-in-lohardaga/">लोहरदगामें हिंडाल्को के माइंसकर्मी को लाठी- पत्थर से मार डाला
आईएमएफ में मिला एसडीआर 62 करोड़ डॉलर घटा
आंकड़ों के अनुसार, रिपोर्टिंग वीक में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ में मिले एसडीआर में 62 करोड़ डॉलर की कमी आयी है. जिसके बाद यह घटकर 18.865 अरब डॉलर रह गया. इससे पहले 11 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में यह 5.3 करोड़ डॉलर घटकर 18.928 अरब डॉलर रह गया था. इसे भी पढ़े : झारखंड">https://lagatar.in/locality-in-jharkhand-1932-khatian-and-planning-policy-it-is-a-river-of-fire-and-has-to-be-drowned/">झारखंडमें स्थानीयता, 1932 का खतियान और नियोजन नीति : इक आग का दरिया है और डूब के जाना है [wpse_comments_template]

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