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पांच साल में 33 फीसदी कम हुआ हथियारों का आयात, भारत का 2025 तक 1.75 लाख करोड़ के रक्षा कारोबार का लक्ष्य

NewDelhi :  पिछले कुछ सालों में भारत ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किये हैं, जिससे सैन्य सामग्री के आयात पर निर्भरता कम हो. इसका अच्छा असर देखने को मिला है. खबर है कि भारत में 2011-15 और 2016-20 के बीच हथियारों के आयात में 33 फीसदी की कमी आयी है. स्टॉकहोम के रक्षा थिंक टैंक सिपरी ने जो रिपोर्ट सोमवार को जारी की है, उसमें यह जानकारी सामने आयी है. इसे भी पढ़ें : दिल्ली">https://lagatar.in/bill-to-make-delhis-lieutenant-governor-more-powerful-introduced-in-lok-sabha-kejriwal-declared-unconstitutional/38012/">दिल्ली

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सरकार घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रही है

रिपोर्ट कहती है कि देश की जटिल खरीद प्रक्रिया और रूसी हथियारों पर निर्भरता कम करने की कोशिशों के तहत भारतीय हथियार आयात में कमी आयी है. इसी के साथ सरकार घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रही है. 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा कारोबार का लक्ष्य रखा गया है. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने जानकारी दी कि घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2018-19 और 2020-21 के बीच करीब 1.99 लाख करोड़ रुपये की मंजूरी दी गयी. इसे भी पढ़ें :  देश">https://lagatar.in/corona-is-growing-in-the-country-pm-modi-convenes-meeting-of-chief-ministers-on-march-17/37996/">देश

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आयात में कमी किये जाने से रूस सर्वाधिक प्रभावित आपूर्तिकर्ता रहा

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की रिपोर्ट में कहा गया, भारत में 2011-15 और 2016-20 के बीच हथियारों के आयात में 33 फीसदी की कमी आयी. आयात में कमी किये जाने से रूस सर्वाधिक प्रभावित आपूर्तिकर्ता रहा. इती क्रम में अमेरिका से  भारत में हथियारों के आयात में 46 फीसदी की कमी दर्ज की गयी. सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार रूस और चीन दोनों के हथियार निर्यात में कमी आयी है. चीन द्वारा हथियारों के निर्यात में 2016-20 के दौरान 7.8 फीसदी की कमी आयी है. चीनी हथियारों के बड़े खरीदारों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अल्जीरिया शामिल हैं.

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