Surjit Singh
एल एंड टी चैयरमैन एनएन सुब्रमण्यम का बयान चर्चा में है. उन्होंने कहा है कि सप्ताह में 90 घंटे काम करने की सलाह दी है. यानि बिना साप्ताहिक अवकाश के हर दिन 13 घंटा और साप्ताहिक अवकाश की स्थिति में हर दिन 15 घंटा.
इनसे पहले इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति भी ऐसा ही बयान कई बार दे चुके हैं. तब उनके बयान पर और अब सुब्रमण्यम का बयान आने के बाद सोशल मीडिया में उनके इस बयान को लेकर चुटकुलें पढ़े-देखे जा सकते हैं.
सवाल उठता है कि क्या इस तरह के बयान जानबूझ करके दिए जा रहे हैं? क्या ऐसा कहने के पीछे कोई खास मकसद है? क्या देश के बड़े उद्योगपति एक नया वर्क कल्चर डेवलप करना चाह रहे हैं, जिसमें परिवार कहीं नहीं हो?
इन बयानों में एक पैटर्न यह भी देखने को मिल रहा है कि देश के उद्योगपति काम के घंटे बढ़ाने की बात तो करते हैं. लेकिन कर्मचारियों की सुविधाओं को लेकर कुछ नहीं कहते. ज्यादा से ज्यादा युवाओं को नौकरी मिले, इस पर भी चुप ही रहते हैं.
सुब्रमण्यम के बयान पर बहस का दौर शुरु हो गया है. यह भी बताया जा रहा है कि वर्ष 2023-24 में उन्होंने 51.05 करोड़ रुपये की सैलरी ली. यह इसके पिछले वर्ष (2022-23) के मुकाबले 43 प्रतिशत ज्यादा था और उन्हीं की कंपनी में कर्मचारियों की सैलरी बढ़ी थी औसतन 1.32 प्रतिशत.
अब आप कल्पना करिये, अगर एक व्यक्ति बिना साप्ताहिक छुट्टी के हर दिन 13 घंटा काम करेगा, तो क्या होगा? और अगर साप्ताहिक अवकाश लेकर छह दिनों तक हर दिन 15 घंटा काम करें तो क्या होगा? क्या वह परिवार के लिए वक्त निकाल पायेगा?
मनोवैज्ञानिक ऐसी स्थिति को खतरनाक स्थिति मानते हैं. अगर उस व्यक्ति को 5 स्टार सुविधाएं ना मिले, तो वह कुछ ही महीनों में मानसिक रुप से विक्षिप्त हो जायेगा या वह इंसान कम मशीन ज्यादा हो जायेगा.
कहीं ऐसा तो नहीं कि काम के घंटे बढ़ाने की दिशा में देश में चर्चा कराना एक रणनीति के तहत किया जा रहा काम है. ताकि कंपनियों में मैन पावर को और कम किया जा सके और मुनाफे को और बढ़ाया जा सके.
सवाल यह उठता है कि हमारे देश के उद्योगपति, जो कर्मचारियों के आठ घंटे के काम की बदौलत आज शीर्ष पर हैं, उन्हें और कितना मुनाफा हासिल करना है. एक सवाल सरकार से भी कि ऐसे बयानों पर उनकी चुप्पी क्यों है?
बहरहाल, पहले नारायण मूर्ति और अब सुब्रमण्यम के बयान बहुत ही खतरनाक है. वह एक समाज व युवाओं को एक ऐसे अंधेरी गुफा में ढ़केलने पर आमदा हैं, जिसमें लोगों की जिंदगियां खत्म हो जाएंगी. ना उनके दोस्त होंगे, ना परिवार, ना समाज और ना शरीर. ऐसे उद्योगपति इंसान को मशीन में बदलना चाहते हैं.
यह खबर आपको कैसी लगी, हमें बताएं...
Company, employee se 70 se 90 hours weekly kaam to kawana chahti hai. Par employee ko salary ke naam 20k se 25k hi deti hai. Jo ki iss mehengai me itni kam salary me survive kar bahut hi muskil hota hai. Aur facility ke naam kuch bhi nahi milta. Salary increment to 2% se 3% hi hota hai. Increment k naam par kachra. Narayan Murthy sir aur subramanian sir, aap logo crore pati ho. Achi life style h. Family Settled h. Paiso ki dikkat nhi h. Par hum logo ko bahut mushkilo ka saamna karna padta hai kam salary ki vajah se. Upar se salary increment bhi bahut kam hota hai. Kahne ko bahut kuch hai ki ek kitaab likh du, par uska aap logo par koi fark nahi padega kyuki aap logo ko to bus apni tarakki se matlab hai. Dusro ki nahi, sabse jyada lower employee ko hi bhugatna padta hai. Kaam jayada salary kam aur increment b naam ka.
Company, employee se 70 se 90 hours weekly kaam to kawana chahti hai. Par employee ko salary ke naam 20k se 25k hi deti hai. Jo ki iss mehengai me itni kam salary me survive kar bahut hi muskil hota hai. Aur facility ke naam kuch bhi nahi milta. Salary increment to 2% se 3% hi hota hai. Increment k naam par kachra. Narayan Murthy sir aur subramanian sir, aap logo crore pati ho. Achi life style h. Family Settled h. Paiso ki dikkat nhi h. Par hum logo ko bahut mushkilo ka saamna karna padta hai kam salary ki vajah se. Upar se salary increment bhi bahut kam hota hai. Kahne ko bahut kuch hai ki ek kitaab likh du, par uska aap logo par koi fark nahi padega kyuki aap logo ko to bus apni tarakki se matlab hai. Dusro ki nahi, sabse jyada lower employee ko hi bhugatna padta hai. Kaam jayada salary kam aur increment b naam ka.