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- ट्राइबल इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
Ranchi : ट्राइबल इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ( टिक्की ) झारखंड चैप्टर ने उद्योग सचिव जितेंद्र सिंह पर आदिवासी उद्यमियों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है. इस बाबत प्रदेश अध्यक्ष वैद्यनाथ मांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. उन्होंने उद्योग सचिव जितेंद्र सिंह को हटाए जाने की मांग की है. मांडी ने कहा कि उद्योग सचिव ने 17 जुलाई की बैठक में अपने खास उद्योग घरानों को बुलाकर नई एमएसएमई पॉलिसी को स्वीकृति कराने का काम कर रहे हैं. जिसमें हमेशा की तरह आदिवासी समुदाय को उद्योग व्यापार से दूर रखा गया है. 4 जून की बैठक में भी जितेंद्र सिंह ने सीधे तौर से कहा था कि आदिवासियों के लिए अलग से किसी भी उद्योग नीति की आवश्यकता नहीं है. उनको सब्सिडी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए. सीधे तौर से उन्होंने आदिवासी उद्यमिता को नकारने का काम किया है. जितेंद्र सिंह ने उद्यमिता का एक अलग वर्ग बना दिया है. इसमें संपन्न व्यापारी एवं उद्योगपति ही शामिल हो सकते हैं. उन्हीं के सुझाव व उनके अनुकूल नीति बनाने की कोशिश की जा रही है. जबकि छोटे उद्यम पॉलिसी से बड़े उद्योगों का लेना देना बहुत ज्यादा नहीं रहता है. इसके बावजूद सुझाव उन्हीं लोगों से लिया जाता है. इसीलिए पॉलिसी काम नहीं करती है.
आदिवासी समुदाय को उद्योग-व्यापार में आने से रोकने का प्रयास
मांडी ने कहा कि नई एमएसएमई नीति का ड्राफ्ट भी चुनिंदा चेंबरो को भेजा गया है. जब राज्य में एमएसएमई पॉलिसी बनाई जा रही है, तो माइक्रो के लिए इनको अलग से पॉलिसी बनानी चाहिए थी. एमएसएमई की नई परिभाषा से माइक्रो उद्यम को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. विभाग द्वारा पूरे सिस्टम को हाई-फाई तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है. राज्य में कई ऐसे चेंबर हैं जो बेहतर सुझाव दे सकते हैं. परंतु वर्तमान उद्योग सचिव अन्य चेंबरों को उपेक्षित कर पक्षपात कर रहे हैं. आदिवासी राज्य में आदिवासियों की उपेक्षा करने वाले उद्योग सचिव को हटाया जाना चाहिए.
सरकार के पास कोई योजना नहीं
पूर्व की सरकार द्वारा आदिवासियों को उद्योग लगाने के लिए आधी कीमत में जमीन देने का प्रस्ताव पारित होने के बावजूद कोई काम नहीं हुआ है. 10 किस्तों में भुगतान का प्रावधान को भी हटा दिया गया है, ताकि आदिवासी समुदाय को उद्योग व्यापार में आने से रोका जा सके. राज्य में आदिवासी उद्यमिता के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है.
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